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चलो न साथ चलते हैं, समंदर के किनारों तक....! किनारे पर ही देखेंगे.... किनारा कौन करता है....!! -Uday Veer
खामोशियों से मिल रहे है खामोशियों के जवाब, अब कैसे कहें की मेरी उनसे बाते नही होती।✍🏻 -Uday Veer
कहाॅं मांग ली थी क़ायनात, जो इतनी मुश्क़िल हुई ऐ खुदा..!! सिसकते हुए होठों में, एक शख्स ही तो माँगा था..!!✍🏻 -Uday Veer
*वो साथ थे तो एक लफ्ज़ भी ना निकला लबों से,* *वो दूर क्या हुआ.... कलम ने कहर मचा दिया।।*✍🏻 -Uday Veer
रूठी बेगम, उड़ते बर्तन सब नज़ारे देखेंगे चाँद को घर में लाने वाले दिन में तारे देखेंगे -Uday Veer
*इस सलीक़े से मेरा क़त्ल किया है उसने.........* *अब भी दुनिया ये समझती है कि ज़िंदा हूँ मैं,*✍🏻 -Uday Veer
ये अधूरे प्रेम-पत्र.. हैरत की बात है न जब भी लिखना चाहा आसमां ने एक "प्रेम-पत्र" धरा के लिए , कुछ लिख ही नही सका बस, पिघल गया "बारिश" बनकर , शायद इसीलिए धरा भी लिखती रही सभी असंम्प्रेषित खतों के जवाब हरी चुनर पहनकर चुपचाप ही !! सुनों.. इसी "आपसी लिखावट" में खोजते चले आ रहे हैं हम-तुम "अपना-अपना प्रेम" सदियों से अब तक !! यूं भी कितना सुखद होता है न कभी-कभी "कुछ न लिख" पाना "किसी" के लिए , और.. पढ़ा जाना "उसके" द्वारा सारा का सारा वो अलिखा भी !! तो हैं न कितने खूबसूरत ये अधूरे प्रेम-पत्र अपने संपूर्ण प्रेम के साथ !! ✍ - Namita Gupta
हैरत की बात है न जब भी लिखना चाहा आसमां ने एक "प्रेम-पत्र" धरा के लिए , कुछ लिख ही नही सका बस, पिघल गया "बारिश" बनकर l -Uday Veer
मुझे कहाँ फ़ुरसत मैं मौसम सुहाना देखूँl मैं आपकी याद से निकलूँ तो जमाना देखूँll -Uday Veer
मैंने जो कहा. बहुत खूबसूरत हों तुम वो बोली "चुप" कभी सुना नहीं. तुमने हर खूबसूरत चीज़ "बेवफ़ा" होती है।।✍🏻 -Uday Veer
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