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Thakur Aryan Singh

Thakur Aryan Singh

@thakuraryansingh9891


एक अरसा हो गया उन  शीत हवाओं में घूमे हुए ।
उन  धुंध राहो से बहुत कादिम पहचान है ,
इतने समय के बाद, हम आज भी उनको याद हैं ।
यह तो हमारे लिए उनका  सम्मान  है ।
कोई कर्ज़ा नहीं है उनसे हमारा, न उनके रिश्तेदार हैं हम,
वहां के शजर जो दुःख हरण का मरहम बेचते हैं ,
बस उसके पुराने खरीददार हैं हम ।
अर्सों बाद अब जब उन् राहों से गुज़रते हैं,
तो गुज़रा अवाम महसूस होता है,
वहां अपनी मौजूदगी के अलावा,
उस अवाम का कोहराम महसूस होता है ।
बरखा-रुत की सियाह रातों में , मैं भटकता हुआ न जाने,
कैसे उन् सजल पेड़ों के झुरमुट में आ गया ,की रात भी वहीं गुज़ारी थी |
पता नहीं ऐसा क्या आकर्षण था उन् पेड़ों में, 
या किस्मत की कोई अय्यारी थी । 
शायद हमारी तरह वो अवाम भी ,
बरखा रुत की सियाह रात में इन् सजल पेड़ों के झुरमुट में आ गया ,
और रात भी वहीं  गुज़ारी हो ।
पता नहीं उसे भी पेड़ों का आकर्षण लाया ,
या शायद उसकी भी किस्मत की कोई अय्यारी हो ।
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इक रूह मेरे बिछौने पर बैठी।
बड़ी ही हसरत निगाहों से मुझे ताकती है,
मेरे सोते हुए बदन में शायद ,वो मेरी रूह को झांकती है।
देर रात मेरे साथ छावनी डाले बैठी रहती है,
सूरज के उफ़ुक़ के ऊपर आने से पहले,
कहीं अलविदा हो लेती है।
वो रातों में दबे पाओं आती है,
और फिर पूरे दिन कहीं गुमशुदा रहती है।
इक रात तारों के संग कुछ गुफ्तगू हो रही थी,
वो तमाम में थे,और मेरी बातें भी थी कईं।
मै उनको हसाता था, वो मुझको हसातें थे,
मैं उनको कुछ रंज सुनाता था, वो संग मुझको भी रुलाते थे।
बड़े ही सहल व्यहवार के थे ,
वो तारे जो तमाम पार थे।
तभी उनमें से एक कोई बताता है,
की हर रात उनके झुण्ड का एक तारा मेरे कमरे में,
मुझे देखने आता है।
मुझे सुकून से सोता देख एक राहत की सांस लेता है,
और मेरे जागने से पहले वापस आ जाता है।
मै रोज सोचता था की तुम मुझे छोड़ कर कयौं चले गए,
पर तुम भी मेरे बगैर, यूं अकेले रह न सके ।

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