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'' मां ,, जब प्रेम को लिखना था तो मां लिखा जब त्याग को लिखना था तो मां लिखा जब शक्ति को लिखना था तो मां लिखा जब निःस्वार्थ को लिखना था तो मां लिखा आशिर्वाद को लिखना था तो मां लिखा अभिमान को लिखना था तो मां लिखा अस्तित्व को लिखना था तो मां लिखा खुशिया को लिखना था तो मां लिखा साहस को लिखना था तो मां लिखा शूरता को लिखना था तौर मां लिखा वीरता को लिखना था तो मां लिखा योद्धा को लिखना था तो मां लिखा सपनो को लिखना था तो मां लिखा अपनो को लिखना था तो मां लिखा जीवन को लिखना था तो मां लिखा सच को लिखना था तो मां लिखा स्वर्ग को लिखना था तो मां लिखा संसार को लिखना था तो मां लिखा सब कुछ लिखना था तो मां लिखा
kabhi taveel safer se bhi nahi milti kabhi jhuk jane se manzil miljati hai kabhi dariya bhi kafi nahi pyaase kokabhi pyaas khatre se bujh jati hai -Kazi Taufique
मुनाफीको को जान लो ये तुम्हारी रहबरी कर ने लगे ओहदेदारो मे नही अब ये ओहदे बाटने मे लगे ये वो दौर नही है जब ये छुपे हुए थे अब तुम छुपे हो उनको बुलंदीयो तक पहुंचा दिए जो तुम्हारे जवाल की वजह बने -Kazi Taufique
Mustaqbil ko apne Dao per lagadiya unke pao pakde jinhone tumhe raste lagadiya -Kazi Taufique
आजाद हो जाएंगे तुझ एक दिन जिंदगी हर दौलत को छोड़कर खाली हाथ जाएंगे जिंदगी सब को समेट रखा था अब खुद बिखर जाएंगे जिंदगी बहोत सफर कीए साथ तेरे ये आखिर सफर जिंदगी कमाया तो कुछ नही बस कुछ दुआ है जिंदगी -Kazi Taufique
खुबसूरत लगते है ये तारे आसमान मे जमीन पर आजाए तो ये दुनिया ऊजाड देते है वाकिफ है आप से समझदार है आप पहेलीयो को जान लेते है और हम खामोश ही ठीक है अगर कहने लगे तो पुरी सच्चाई निचोड देते है
कईं पराक्रम किए जिन्होने कई लड़ाई जिते वो मुहब्बत के एक हमले से हार गया। #हमला
सफलता के पर्वत को छुना है तो अंधविश्वास से 'अंधे,_रा, निकाल दो और खुद पर 'विश्वास, करो। अमंगल से 'अ, तो नहीं निकलेगा लेकिन खुद पर विश्वास करो तो सब 'मंगल, होंगा। #अमंगल
वक़्त हो तो बताना साथ बिताने के लिए ना हो तो कुछ आँसु हीं बचा लेना लोगों को दिखाने के लिए ।
मुहब्बत कितनी आला हैं कोई समेट ले तो शहद छोड दे तो ज़हर का प्याला हैं #आला
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