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बहक जाने का मन है तेरी बाहों में महक जाने का मन है तेरी सदाओ में तू पुकार तो मन से कभी जो मर जाने का मन है तेरी वफाओ में -शिवाय
दूरियां अक्सर दो शरीरों के बीच होती है दो आत्माओं के बीच तो मिलन कई बार हो चुका होता है -शिवाय
इस दीवाने की दुआ काम आ गई महफ़िल में सनम जो तू सरेआम आ गई ये बड़ी बहकी बहकी अदाओं सा नूर है मेरे होंठो पे इस तरह जो तू याद आ गई ये महफ़िल दीवानी थी पहले से ही तेरी अब तो तेरे आ जाने से इसमें जान आ गईं तसब्बुर जो ठहरा था आंसुओ में मेरे ये मेरी चाहत खुद-ब-खुद जो तेरे नाम आ गई -शिवाय
मेरे इश्क़ से उन्हें अब फर्क नही पड़ता जो मुझमे कभी राहत ढूंढते थे -शिवाय
मेरे सुकून का कुछ तो लिहाज़ कर लिया कर जो तुझसे शुरू होकर तुझपर ही खतम हो जाता है -शिवाय
वो बात जो जुबाँ पर आते आते रह गयी शायद उसमे कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी हो गयी -शिवाय
पौधा लगाना तो आसान है पर उसे सींचना बहुत मुश्किल फिर चाहे वो पौधा दिल हो रिश्ता हो या वादा हो -शिवाय
वो हसरत-ए-इश्क़ किए बैठा था मैं जिक्र-ए-इश्क़ लिए बैठा था वफाओ का सिलसिला दोनों तरफ था वो इश्क किये बैठा था और मैं इश्क़ जिये बैठा था -शिवाय
इश्क़ और दोस्त -शिवाय
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