The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
बादलों के बीच कहीं नर्म रोशनी होगी,कुछ बूंदे नीली मधुरस में घुली होगी... कोई आजमाएगा नही ,किसी को भी इजाजत होगी... -Supriya
कान्हाजी!!! यूं , देखा न करे तन की हर डोर डोर खुल जाती हैं...... हम, हम नही रहते बस एक रोशनी रह जाती हैं..... -Supriya
मेरा हरा रंग ना भाता मोहे, सावरे की कुछ निली बूंदे भी मिल जाए... आग बिरहा की झुलसाती ऐसे, उस बैरागी के तेज में हम खो जाए..... -Supriya
हम उस अंधेरे की बात करते है,जो तुझे छू के गुम हो जाता है। उस बिचारे की बात करते है,जो तेरे रूबरु चुप हो जाता है। पल सुनहरे हो जाते है तेरे आने से,वक्त भी अचरज से ठहर जाता है। -Supriya
हुनर शिकारी का बड़े गुमान में था, उसने पर्दा उठाया और फांसा पलट गया.... -Supriya
तारों का शहर क्या अलग होगा, हम तुम और ये उजाला होगा..... -Supriya
दिल तो टूटते रहते हैं, अरमान बिखरते रहते है, सजाए तारे गिरते रहते है, बिन मौसम सावन पिघलते रहते है, मुश्किल नहीं है जादा,इन सबसे निकल जाना, बस होंठो पे, मुस्कान सजाके रखना। बात संभल जाएगी, रात गुजार जाएगी, आने वाली है वह, फुरसत में आ जाएगी, आज यह वक्त है,कल वक्त को है बदल जाना।, बस होंठो पे मुस्कान सजा के रखना। -Supriya
मुठ्ठी भर गुलाल था ,जो पास हमें लाया था... चुटकी भर सिंदूर से कोई हमें पराया कर गया.... -Supriya
हम सोचते है दिल हमारे पास भी था कभी!!!! तुम ने देखा..... और जलजला बहा ले गया..... -Supriya
आज भी याद है मुझे,सागर तब मीठा था!!!!! जो सावन से है दो नैन ,सूरज उन में जिंदा था.... -Supriya
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser