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~ हम इंसान क्या इंसान रह गए ~ रंग बदलना गिरगिट का काम हमलोगो ने ठाना है चोरी बेईमानी भ्रष्टाचारी के रास्तो पर जाना है छोटी-छोटी बातो पर हम भला-बुरा सब कह गए हम इंसान क्या इंसान रह गए !! रीति-रिवाज ना पुर्खो की ना रही कोई निशानी आगे-आगे चलने मे हम भुल गए उनकी कहनी संस्कार तो मानो जैसे दिवारो सी ढह गए हम इंसान क्या इंसान रह गए !!
#बेरोजगारी 3 SBPD, LUCENT सारा मैने सबको रट्टा मारा इतिहास की युद्ध लड़ाई अभी भी सबकुछ याद है भाई किताबो से भरल पड़ी है अलमारी प्रेमिका की तरह गले पड़ गई आकर बेरोजगारी
#बेरोजगारी 2 नही सोते थे भरपूर पढने जाते थे दूर-दूर ढल रही है उम्र सारा सपना हो रहा चूर-चूर सोचे थे बनेंगे IAS अधिकारी तब-तक प्रेमिका की तरह गले पड़ गई आकर बेरोजगारी
#बेरोजगारी सोचता था पढ-लिखकर करूंगा नौकरी सरकारी तब-तक प्रेमिका की तरह गले पड़ गई आकर बेरोजगारी कहां से आई है कहां को जाएगी सबको है मारी क्या मुझे भी रूलाएगी जो भी हो जरा हमसे बताना तेरी शादी हो गई या है कन्या कुवारी प्रेमिका की तरह गले पड़ गई आकर बेरोजगारी read continue to next part
दुनिया के इस भीड़ मे खुद को खो के, मै को पाना, मुश्किल काम है जीना इसी का नाम है
पैसा कुछ-कुछ है सब कुछ नही है !!
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