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दिल में चाहे ज़ख्म हज़ारो हो,, पर चेहरे पे मुस्कान शायराना रखते है,,, बात खुद की रज़ा की हो या रब की रज़ा की,,, अपना अंदाज़ हम सूफियाना रखते है,,,,,
एक माँ का जीवन अपने बच्चे के ही इर्द गिर्द घूमता रहता है,जब वो छोटा होता है तो उसकी मासूम हरकर्तो को देखने में,अपने बच्चों को बड़ा होते देखने में ही उम्र कब बीत जाती हैं पता ही नही चलता। एक मां की आंखों में अपने उस छोटे से बच्चे के लिए कितने बड़े बड़े सपने तैरने लगते है।वो उस बच्चे के बचपन में जैसे अपना ही बचपन दोबारा जी उठती है। कितनी भी कठनाइयों हो उस वक़्त पर मां अपने सारे दुख भूल कर अपने बच्चों के लिए सपने बुनने में ही अपनी वो उम्र बिता देती है। पर वो वक़्त बहुत कठिन होता है,जब बच्चों के बड़े होने के बाद उनकी पढ़ाई या भविष्य के लिए उसे अपने बच्चों को अपने से दूर जाने देना ही पड़ता है।तब मानो अचानक ही एक खालीपन जीवन मे आ जाता हैं।वो वक़्त जो हर लम्हा बच्चों के पीछे पीछे भागते ,खेलते बिता ,अचानक ही जैसे रुक जाता है।।एक रिक्तता आ जाती हैं।मन में खुशी तो रहती है पर एक खालीपन आ जाता है,जैसे उसकी भागती दौड़ती दुनियां एक दम ही रुक सी गयी हो। बच्चे अपने कैरियर में आगे जाते जाते है,और मां का जीवन वहीँ उनके बच्चों के बचपन मे ही रुका रह जाता है। एक अजीब ही कश्मकश होती है एक माँ के जीवन की,वो हर पल अपने बच्चों के साथ रहना चाहती है,और अपना ही मन कड़ा कर के उनके उज्जवल भविष्य के लिए उनके रास्ता की बाधा नही बनती।खुद को ही समेट लेती है,बच्चों के बचपन की यादों में।।।
ये शामें इतनी तन्हा इतनी वीरानी क्यों होती है,क्यों हर शाम जैसे कुछ खोने का एहसास कराती है,ये शामें क्यों दिल को इतना डराती है,क्या खोया था इन शामों में जो आज तक हर शाम वही एहसास दोहराती है,चंद लम्हों की तन्हाई भी जाने कितनी यादें ले आती है,हर यादें जैसे खुद से ही कही दूर मुझे ले जाती है,,,,
किसी के साथ चलकर भी राहें आसां नही हो तो,अकेले चलना ही सही है,,,,,
khamoshi jitni gehrati ja rhi hai,,tumhare padchapo ki aawaz utni hi spasht hoti ja rhi hai,,,,is ghane andhere ko chir kr tum ek nayi subah laoge,hogi jaha khushiyan hi khushiyan us desh tum le jaoge....Tum bhram nhi ho mera na kori kalpna ho,hr dhadkan me jiya hai tumhe,hr soch me tumhe socha hai,jagte sote hr pl jo dikhta hai tum mera vahi sapna ho.....
क्या हुआ जो चलते चलते थक जाती हूँ मैं,,,,,कुछ पल भले रुक जाती हूँ,पर फिर से चलती हूँ मैं,,,,,माना सफर आसां नही होगा,कुछ मुश्किलें, कुछ दिक्कतें, इन सबसे भी सामना होगा,,,,,ठोकर भी लगेगी और लहू भी बहेगा,,,,,,पर बार बार गिर कर भी उठ खड़ी होउंगी मैं,,,,,ज़िन्दगी चाहे तू मुझ पर लाख सितम कर,तुझे तो हंस कर जिया है,हंस कर ही जियूंगी मैं,,,
लगाव जितना गहरा, प्यार उतना ही गहरा,, प्यार जितना गहरा,उम्मीद उतनी ही गहरी,, उम्मीद जितनी गहरी,दर्द उतना ही गहरा,,,
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