Quotes by Sunita in Bitesapp read free

Sunita

Sunita

@sp5380gmail.com308742


स्वरचित कविता -चारों ओर हरियाली,मन
को हर्षित करने वाली।
लंबे घने वृक्ष,उस पर सुशोभित पत्ते।
पत्तों पर औंस की बूंदें,
मानो हो उसके अश्रु।
अनंत आकाश का फैलाव,मानो हो शीतल छांव।
आकाश में फैला इंद्रधनुष,जैसे हो सपनों के रंग।
पंछियों की चहचहाहट,जैसे हो सितारों की टिमटिमाहट।
ऐसी प्रकृति की छटा को सौ सौ बार वंदन।

Read More

हिंदी के बावन वर्ण,
जिन्हें शब्दों में।
बयां करते ,
नित दिन हम।
पंत हो या निराला,
या हो महादेवी वर्मा।
या हो प्रसाद,या हो सूर तुलसी,कबीर,जायसी।
इत्यादि सभी को करते हैं हम बारंबार नमन।
चाहे हो, रामचरितमानस या हो।
बीजक,या हो पद्मावत,
या हो कामायनी या हो।
सूर सारावली हो या यामा ,
यह सब है हमारे
पावन ग्रंथ।

Read More