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Malum Nahi Kya puchte ho mujhse mera pta Malum nahi Hun bikhra sekron dishao me Kabhi apno ke sath me Kabhi ichao ke shore me Kabhi kisi ki galiyo ke rah me Is Bikhre astitva mese me kon hun Malun nahi
(covid diaries) मेरी सुबह सुहावने दिन की शुरुआत मैं अखबार से करता हूँ , जिसके शुरू के कुछ पन्ने जिनमें दर्द और कैसे मैं उनका कारण हूँ, ये महसूस ना कराय , पलट देता हूँ। मज़ा चाय का लेता , जो भुला देती मुझे उलझन मे वो सड़क के बच्चों की पैनी नज़रें , जिनके उम्मीद के नम आँसू सूख चुके थे उनके रूखे चहरों पर से , भुला देतीं ताजगी के झटके से। फिर थोड़ा टहलता अपनी छत पर, चेहरा आशा के उगते सूरज की ओर, और पीठ घर के पास रूके निराशा की गहराई दिखाते मजदूरों की ओर। दृश्य देख कुछ कविताओं के बारे मे सोचते सोचते नीचे आजाता हूँ। टीवी खोलकर कुछ ही चैनलों मे आई उन धोखा खाई सच्ची आवाजों को अनसुना करुँ मै जो मुझसे मेरी दृढ़ राष्ट्रीयता भुलवातीं और कमजोर आत्मयता याद दिलातीं।बदल उनको देखता राष्ट्रीयता का मनमोहक, गर्वपूर्ण, उजवल भविष्य का मसालेदार सपना। होकर आशावादी मैं , बंद करदेता वो पीड़ा की रौशनी को जो छीनना चाहे मुझसे मेरा आनंद का अंधकार। @grihasthmad
(covid diaries ) आत्मचिंतन आइना बनीं ये खिड़की है सच कि ,झांकू मैं जहाँ से दिखे है सब सही , तो क्यूँ हूँ दुखी। घमंड की चड़ी है नरबलि , ना हूँ अब महान , झूठा निकाला स्वाभिमान । इच्छाओं के सागर मे गोते लगाऐ मेने भी, थम गया है सब अभी, अब हूँ सिर्फ खुद मे ही। प्रकृती कि कोक को खंरोचा है मैने भी , खूनीं इन हाथों को अब धोऊँ मैं हर कभी।
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