The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
वो महबूब गलियां वो सड़कें नुक्कड़ दरख्त दरिया- वरिया ख्वाब में मुसलसल आने लगे हैं सब गो कि जानते हों हमारा मिलना ना होगा अब -- Shirish Sharma https://www.matrubharti.com/bites/111406600
ढेर सारे दिन ऊन सभी दिनों मे जब हम साथ नही थे, तुम्हारी आवाज़ मेरे कानों तक नही आ रहि थी, और मेरे शब्द तुम तक नही पहुंच पा रहे थे। उनमें से हर दिन , मैं तुम्हारे साथ होना चाहता था, पर ऐसा ना हो पाया यूं तो वजहों मे नही जाता मैं, पर ज़िन्दगी ने घेर लिया था मुझे , तुम ही कुछ कह दो इसका इन्तज़ार तो था ही, तुम्हारी ना झेलने की हिम्मत भी ना जुटा पाया। अब, और रुकना नही है, ना कोई इन्तज़ार ना झिझक, बस साथ चलने और चलते रहने का इरादा।। साथ ना होने के वो सारे दिन, जब, तुम्हारी कमी, बहुत गहरे से खली हर दिन , लगातार-बारबार।। ऊन ढेर सारे दिनों में, तुम्हे कहने की सोचता रहा, कि , आओ उस फ्रेम को भर दो जिसमे सिर्फ तुम्हारी तस्वीर ही फबेगी।
ये ना समझना कि अनजान हूँ तुम्हारे घर से तुम्हारे घर का हर शीशा अल्हड़पन है मेरा जो तुम्हे सारा दिन छेड़ता है फर्श जिसपे तुम चलती हो ये मेरे कान हैं जो तुम्हारे क़दमों की आहट पहचानते हैं चूड़ियां जो तुम्हारे हाथों में बजती हैं ये मेरे लिए ही तो खनकती हैं लाली जो तुम्हारे होठों पे रचती हैं ये मेरे लिए ही तो सजती है तुम्हारे माथे पे लगी बिंदी मेरा काम ही तो करती है बुरी नज़रों को तुमसे दूर रखती है तुम्हारी मुसकान राज़दार है मेरी हर पल तुम्हारे मन की चुगली मुझसे करती है तुम्हारे अलग - अलग पेन्डेन्ट जो तुम्हारे सीने से लटकते हैं ये छोटे - छोटे दिल हैं मेरे जो तुम्हारे दिल के साथ धड़कने को आपस में लड़ते हैं ये न समझना कि मैं अनजान हूँ तुम्हारे घर से सारे बल्ब.... ये तुम्हारा चेहरा रोशन करने के लिए कहे पे ही तो जलते हैं
चमकीले पैराहान सबके चेहरों पे मुस्कान टँगी इन खुशियों के बदले जाने किसकी गिरवी कितनी ज़मीं
कभी मेरी नज़र से देख खुद को आईने में, देख कर सुरत अपनी तू खुद ही शर्मा जाएगा, कभी ले नाम अपना, मैं बनकर, तुझे अपने नाम से प्यार हो जाएगा, थोड़ी सी तो खोल खिड़की मन की, पता भी ना चलेगा और तुझे ईश्क़ हो जाएगा,
आब- ओ- दाना , छत, बिस्तर, सब मिला आज कल फ़िर करेंगे मिन्नत ज़िन्दगी, देखकर तेरा मिज़ाज
वो महबूब गलियां वो सड़कें नुक्कड़ दरख्त दरिया- वरिया ख्वाब में मुसलसल आने लगे हैं सब गो कि जानते हों हमारा मिलना ना होगा अब
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser