The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्यों को विद्याध्ययन के साथ-साथ अनुशासन, शिष्टाचार, क्षमाशीलता, तितीक्षा आदि सद्गुणों की भी शिक्षा देते थे। उस समय यह विश्वास था कि विद्या के समान ही चरित्र भी आवश्यक है और उसके शिक्षण पर भी पूरा-पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। ऋषि धौम्य के आश्रम में कितने ही छात्र पढ़ते थे। वे उन्हें पूरी तत्परता से पढ़ाते, साथ ही सद्गुणों की वृद्धि हुई या नहीं इसकी परीक्षा भी लेते रहते थे। एक दिन मूसलाधार वर्षा हो रही थी। गुरु ने अपने छात्र आरुणि से कहा बेटा! खेत की मेंड़ टूट जाने से पानी बाहर निकलता जा रहा है सो तुम जाकर मेंड़ बाँध आओ। ” छात्र तत्काल उठ खड़ा हुआ और खेत की ओर चल दिया। पानी का बहाव तेज था। छात्र से रुका नहीं। कोई उपाय न देख आरुणि इस स्थान पर स्वयं लेट गया। इस प्रकार पानी को खेत में रोके रहने में उसे सफलता मिल गई। बहुत रात बीत जाने पर भी जब छात्र न लौटा तो धौम्य को चिन्ता हुई और वे खेत पर उसे ढूंढ़ने पहुँचे। देखा तो छात्र पानी को रोके मेंड़ के पास पड़ा है। देखते ही गुरु की छाती भर आई। उसने उठा कर शिष्य को गले लगा लिया। इसी प्रकार धौम्य ने अपने एक दूसरे छात्र उपमन्यु को गौएँ चराते हुए अध्ययन करते रहने की आज्ञा दी। पर उसके भोजन का कुछ प्रबन्ध न किया और देखना चाहा कि देखें वह किस प्रकार अपना काम चलाता है। छात्र भिक्षा माँग कर भोजन करने लगा। वह भी न मिलने पर गौओं का दूध दुह कर अपना काम चलाने लगा। धौम्य ने कहा—”बेटा! उपमन्यु छात्र के लिये उचित है कि आश्रम के नियमों का पालन करे और गुरु की आज्ञा बिना कार्य न करे। ” छात्र ने अपनी भूल स्वीकार की और कहा भविष्य में भूखा रहना तो बात क्या है, प्राण जाने का अवसर आने पर भी आश्रम की व्यवस्था का पालन करूंगा। उसने कई दिन निराहार होकर दुर्बल हो जाने तक अपनी इस निष्ठा की परीक्षा भी दी। छात्र संतुष्ट थे कि उन्हें सद्गुण सिखाने के लिये कष्टसाध्य कार्यों के द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। सच्ची विद्या अक्षर ज्ञान में नहीं, सद्गुणों से परिपक्व श्रेष्ठ व्यक्तित्व में ही सन्निहित है। । ⬇️⬇️⬇️ https://youtu.be/zGemuHENXAw
https://youtu.be/zGemuHENXAw
सत्य, सन्त, शर्म, कर्म, धर्म, जन्म, मृत्यु, शक्ति, भक्ति, इन सब शब्दो मे अढ़ाई अछर है। इन सब शब्दो को परिभाष मे ही सच्चा प्रेम झलकता है। कबीर जी के वाणी से----पोथी पढ़ पढ़ जग मरा, पंडित भयौ ना कोई। अढ़ाई अछर प्रेम का, पढे सो पंडित होय।
श्रीभगवान का आगमन। इससे बड़ा पर्व, इससे बड़ा त्यौहार भला और क्या हो सकता है। भगवान श्रीराम के आगमन पर प्रसन्नता मनाना, सबका मुंह मीठा करवाना, हर्षोल्लास से परिपूर्ण हो जाना। यह सब भगवान के प्रति समर्पण दर्शाता है जिससे भगवान व समस्त देवी देवता अत्यंत प्रसन्न होते हैं। किन्तु अधिकांश लोग ऐसा न करके भगवान को दरकिनार करके माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ताकि उनके धनों के भंडार भर जाएं। किन्तु माता लक्ष्मी अत्यंत बुद्धिमान हैं उनके पति की उपेक्षा कर कोई भला उन्हें किस प्रकार प्रसन्न कर सकता है?? माता लक्ष्मी अपने पति श्रीभगवान की सेवा में प्रत्येक क्षण समर्पित रहती हैं, आज लोगों ने अपने स्वार्थ हेतु माता लक्ष्मी के संग विराजने वाले भगवान को वहां से हटाकर उनके स्थान पर गणेशजी को बिठा दिया है, ताकि लक्ष्मी माता उनके भंडार भरें एवं गणेशजी उनके जीवन में ने वाले विघ्नों का हरण करें। इतना ही चाहिए लोगों को उन्हें भगवान से कोई प्रयोजन नहीं है। किन्तु जिनकी बुद्धि सांसारिक इच्छाओं द्वारा मारी नहीं गई है वह लोग दिवाली के दिन भगवान के आगमन का पर्व अत्यंत प्रेम व समर्पण से मनाते हैं। चैनल से यहां से जुड़े ⬇️⬇️ https://goo.gl/2hJ7oV
शिव लेजर शो
#mahadev #shiva #harharmahadev #bholenath #lordshiva #shiv #omnamahshivaya #om #shankar #hindu #bholebaba #god #shambhu #bhole #peace #omnamahshivay #ujjain #aghori #har #india #shivay #shivaay #jaishreemahakal #lord #love #hinduism #spiritual #mahakaleshwar #art #happiness
? आजका सदचिंतन? """""""""""""""""""""""""""""""""" "अविश्वासी आखिर अकेले रहते हैं" ---------------- हर किसी पर अविश्वास करने वाले, सबको संदेह और तुच्छता की दृष्टि से देखने वाले अहंकारी व्यक्ति अपने मन में सोचते हैं कि हम बहुत बुद्धिमान हैं, किसी की बातों में नहीं आते और चौकस रहकर अपनी जरा भी हानि नहीं होने देते, सबको अपना बना लेते हैं, पर वस्तुतः यह उसका भ्रम है, उनकी भारी भूल है अविश्वासी को किसी का सच्चा प्रेम नहीं मिल सकता। ऐसी प्रकृति के व्यक्ति आमतौर से अंततः मित्रविहीन अकेले देखे गये हैं। https://goo.gl/2hJ7oV ? सबका जीवन मंगलमय हो?
हर हर महादेव* *ॐ नम: शिवाय्???*??? https://youtu.be/TYZ96g_BNos
"बुरा लग जाए" "ऐसा सत्य" जरूर बोलो लेकिन "सत्य लगे" "ऐसा झूठ" कभी मत बोलो। ??ॐ नमः शिवाय??
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser