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में धूप में तप कर किसी प्यास बुझाने की मसक्कत करता रहा। वो पैसे वाला बाबू जेब हाथ रखकर मेरी गरीबी कोई रुस्वा करता रहा। हो सकता है मेरी पसीने कीमत कम हो पर इसका मतलब ये नही की मेरी की मेरी मेहनत की इज़्ज़त कम हो। में दो वक्त की रोटी के लिए चारो पहर जलता हूँ, सुबह से लेकर शाम तक नंगे पैर चलता हूँ। आपके तो पेर भी मुश्किल से मैले होते है। हम तो भरे बाजार में भी तपती धूप में अकेले होते हैं। #SAHILSAGAR
मेरी काबिलियत पर शक न कर ए न क़ामयाबी के बादशाह। तुझे हराने के लिए कुछ सालो का पसीना ही काफी है। #SAHILSAGAR
कहने की हमने आँखों से की कोशिश। वो बोलो हम तो है, कलम के आशिक।। #SAHILSAGAR
कोन कहता है, ज़िंदगी बेवफ़ा है। मेरे साथ भी दुआओं का काफिला है।।
में मास्क लगाऊँ तो सांस न आये, मास्क हटाऊँ तो चालान कट जाए, ये धरती रहने लायक नही बची दोस्त , चलो अब मंगल पर घर बनाये। #SAHILSAGAR
मैं रोज़ भटक जाता हूँ मकसद से, अब बैठूंगा नही फ़ुर्सत से। क़िस्मत से गर न मिली क़ामयाबी तो, छीन लूंगा मेहनत से। #SAHILSAGAR
हम मज़ाकिया है, तुम गम्भीर ग़मज़दा। हमारे मज़ाक को बदतमीज़ी कहते हो। तुमने तो ग़म में भी नही छोड़ी अपनी अदा। #SAHILSAGAR
में लिखता नहीं, फिर भी कलम चलती है । हालाते ए- जिंदगी भी रोज़ रंग बदलती है ।। #SAHILSAGAR
मास्टर जी बोले पड़ लिख कर,सबसे महान बनो ओर किताबों में लिखा था, पहले इंसान बनो। #SAHILSAGAR
हम अज़ान सुने तो अल्लाह याद आये,भजन पे भगवान, लोग अपने दुखों से नही, बस मेरी खुशी से परेशान। #SAHILSAGAR
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