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SAHIL SAGAR

SAHIL SAGAR

@sahilsagar1010


में धूप में तप कर किसी प्यास बुझाने की मसक्कत करता रहा।

वो पैसे वाला बाबू जेब हाथ रखकर मेरी गरीबी कोई रुस्वा करता रहा।

हो सकता है मेरी पसीने कीमत कम हो पर इसका मतलब ये नही की

मेरी की मेरी मेहनत की इज़्ज़त कम हो।

में दो वक्त की रोटी के लिए चारो पहर जलता हूँ,

सुबह से लेकर शाम तक नंगे पैर चलता हूँ।
आपके तो पेर भी मुश्किल से मैले होते है।

हम तो भरे बाजार में भी तपती धूप में अकेले होते हैं।

#SAHILSAGAR

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मेरी काबिलियत पर शक न कर ए न क़ामयाबी के बादशाह।
तुझे हराने के लिए कुछ सालो का पसीना ही काफी है।

#SAHILSAGAR

कहने की हमने आँखों से की कोशिश।
वो बोलो हम तो है, कलम के
आशिक।।

#SAHILSAGAR

कोन कहता है, ज़िंदगी बेवफ़ा है।
मेरे साथ भी दुआओं का काफिला है।।

में मास्क लगाऊँ तो सांस न आये, मास्क हटाऊँ तो चालान कट जाए, ये धरती रहने लायक नही बची दोस्त , चलो अब मंगल पर घर बनाये।

#SAHILSAGAR

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मैं रोज़ भटक जाता हूँ मकसद से,
अब बैठूंगा नही फ़ुर्सत से। क़िस्मत से गर न मिली क़ामयाबी तो, छीन लूंगा मेहनत से।
#SAHILSAGAR

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हम मज़ाकिया है, तुम गम्भीर ग़मज़दा।
हमारे मज़ाक को बदतमीज़ी कहते हो।
तुमने तो ग़म में भी नही छोड़ी अपनी अदा।

#SAHILSAGAR

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में लिखता नहीं, फिर भी कलम चलती है ।
हालाते ए- जिंदगी भी रोज़ रंग बदलती है ।।

#SAHILSAGAR

मास्टर जी बोले पड़ लिख कर,सबसे महान बनो ओर किताबों में लिखा था, पहले इंसान बनो।

#SAHILSAGAR

हम अज़ान सुने तो अल्लाह याद आये,भजन पे भगवान, लोग अपने दुखों से नही, बस मेरी खुशी से परेशान।



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