Quotes by Rupesh Singh in Bitesapp read free

Rupesh Singh

Rupesh Singh

@rupeshsingh6104


लोग होते रहे तेरे ,मैं तेरा होया नही
तेरा न होकर भी तुझको खोया नही

तेरी यादों में इस क़दर उलझा हूँ मैं
जी भरकर मुद्दतों से सोया नही

रंज औ ग़म से भर गई है जिंदगी
बोझ खुशियों का फिर भी ढोया नही

कोई आये तो मरहम लेता आए
मैंने अभी जख्मों को अपने धोया नही

सारा आसमां हैरान हैं इस बात पर
टूटकर भी ये सितारा क्यों रोया नही

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उल्फ़त का हसीं नजारा कैसे हो
शब भर जागकर गुजारा कैसे हो,

एक रोज़ रूबरू तुम चली आओ
ख़्वाबो में तुमकों इशारा कैसे हो,

महज़ तुम्हारा हो जाने की खातिर
हम आसमां से टूटता सितारा कैसे हो,

लाज़मी है इश्क़ करना हर किसी का
बाद हिज्र के यादों से किनारा कैसे हो,

दरमियां एक दूजे के कुछ है ही नही
किस्सा कैफ़ियत का दोबारा कैसे हो..!!

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बेवफ़ा पर वक़्त जाया नही करते
इश्क़ रोज़ रोज़ जताया नही करते

तबीब हो हर शख्स ये जरूरी तो नही
जख़्म हर किसी को दिखाया नही करते

चंद लम्हों को रोशन करने की ख़ातिर
चिराग-ए-दिल शब भर जलाया नही करते

छोड़ जाएं शज़र को इक बार फिर तो
परिंदे भी लौट कर शाखों पर आया नही करते

मर जाने दो मर रहा है गर अरमानों की ख़ातिर
रोग-ए-इश्क़ से आशिकों को बचाया नही करते..!!

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