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व्हाट्स ऐप के गुड- मॉर्निंग मेसेज का दुख इस प्रकार साझा किया – “आदरणीय महोदय/ महोदया मैं आपका शुक्रगुजार हूं कि आप प्रति दिन मुझे गुड मॉर्निंग का संदेश व्हाटस ऐप के माध्यम से भेजते हैं। यह कार्य आप पिछले कई सालों से कर रहे हैं। मैं भी मजबूरन ही सही उनके जवाब में किसी दूसरे का मेसेज आपको फॉरवर्ड कर देता हूं। फिर चौबीस घंटे आपकी तरफ से मेरे मोबाइल पर शांति बनी रहती है। क्या आप बताएंगे कि इससे आपको इन वर्षों में क्या फायदा हुआ। मुझे तो कुछ नहीं मिला। हमारे द्वारा अपने बारे में , हमारे परिवार के बारे में, स्वास्थ्य के बारे में कोई सूचना का आदान प्रदान नहीं हुआ। हम नहीं जान पाये कि आपके बच्चे या परिवार के सदस्य कहां हैं, क्या करते हैं, आपके साथ उनका व्यवहार कैसा है। हमारे बीच न दोस्ती बढ़ी न दुश्मनी। इससे ज्यादा तो आप राजनैतिक लोगों की दिनचर्या जानते हैं जिसे कभी कभार आपने फॉरवर्ड किया है। उनमें रुचि न होने के कारण इन्हें बिना पढ़े डिलीट करना पड़ा। ज्ञान- विज्ञान, धार्मिक और सांस्कृतिक एवं संस्कार की बातें पर भी कोई फोकस नहीं। किसी की बर्थ डे, एनिवर्सरी की तिथियां आपने कभी नहीं बताई और न मैने जाननी चाही। इतने सालों में हम एक दूसरे की पसंद और नापसंद भी नही जान पाए। आपने डी पी पर फोटो लगाई है वरना चेहरा भी भूल गया होता। सिर्फ हमने दूसरे का मेसेज फॉरवर्ड किया है, दोस्ती की तरफ ऐच्छिक कदम नहीं बढ़ाया है। शायद आपके पास समय का अभाव है अथवा फॉरवर्ड करने के अतिरिक्त आपको व्हाट्स ऐप पर लिखना, वाइस कॉल , वाइस मेसेज करना नहीं आता। इस प्रकार सिर्फ समय एवं टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हुआ है। इसलिए उचित होगा कि महीने में एक बार ही सही व्हाट्स ऐप पर चैट कर लें, बात कर लें और अपने सुख -दुख साझा कर लें। केवल गुड- मॉर्निंग के संदेश मत फॉरवर्ड करें। मोबाइल का स्टोरेज भर चुका है। आशा है आप मेरे दुख को समझ कर अपनी आदतों में बदलाव लायेंगे। आपका व्हाट्स ऐप मित्र।” आर के लाल
If you get upset after seeing the progress of others, then understand that you are still healthy but if you start jealous of them, then you have definitely become insulted ill. RK Lal
अगर आप दूसरों की प्रगति देख कर व्याकुल हो जाते हैं तो समझिये कि अभी भी आप स्वस्थ हैं पर यदि आप उनसे जलन करने लगे तो निश्चित ही आप बेइलाज़ बीमार हो गए है। आर के लाल -r k lal
उदास रहने से क्या फायदा जब उससे किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। आर के लाल -r k lal
खुश रहने के लिए गुरूर छोड़ कर गुरु को बनाए रहिए। -r k lal
विचारों की अभिव्यक्ति परिवार के सदस्यों की रुचि, अभिरुचि और सोचने -समझने का ढंग अलग अलग होता है । सभी में सामंजस्य के लिए उनमें स्वतंत्र विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति जरूरी है। आर. के. लाल
दो विकल्प "क्या मैं कर सकता हूं?" अथवा "मैं कर सकता हूं" आपके संपूर्ण जीवन को बदल सकते हैं । सही विकल्प चुनकर अपने कार्य एवं संबंधों की विशिष्टता में अंतर महसूस किया जा सकता है। आर के लाल
*स्वतंत्रता में आनंद, दिव्यता और सौंदर्य का अहसास होता है तो किसी बंधन में दुख, संताप, और कुरूपता का।"* आर 0 के 0 लाल
नज़दीकियां "आए दिन आप और आपके भाई में कहासुनी होती रहती है, मगर आप हैं कि किसी न किसी बहाने से उनसे बात करते रहते हैं जबकि वे आपको अक्सर अपशब्द भी कह देते हैं । जब अलग हो गए हैं तो उनसे कोई संबंध ही क्यों रखते हैं"? पत्नी ने अपने पति से पूछा। उनके पति ने जवाब दिया, " इससे हमारे बीच नज़दीकियां तो बनी रहती हैं, भले ही खटास भरी हों। उस कटुता को तो कभी भी दूर किया जा सकता है परंतु आपस की दूरियां बढ़ जाय तो उसे खत्म करना आसान नहीं होता"। आर 0 के 0 लाल
जीवन में शांति, सौम्यता और मधुर संबंध ही परिपक्व व्यक्ति के लक्षण होते हैं । आर के लाल
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