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Rishabh Mehta

Rishabh Mehta

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भरोसा क्या करना गैरों पर,
जब गिरना और चलना है अपने ही पैरों पर ।

लोग घाव पर मरहम लगाने आयेंगे
और खंजर मार जायेंगे।
मतलबी है दुनिया सारी
मतलब की है बात सारी ।

किसे क्या पता कोन कब रूठ जाए।
ये शीशे, ये धागे, ये सपने, ये रिश्ते
किसे क्या खबर कहा टूट जाए।

-Rishabh Mehta

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मै भी बेवकूफ था और सोचता रहा वो ठीक तो होगी?
पर ये सोचना तो भूल ही गया क्या उसके पास 2 सेकंड का टाइम नही होगा सिर्फ ये बताने को "मै ठीक हु पर थोड़ी busy हु"?

-Rishabh Mehta

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केसा बदनसीब हु मैं
जब वो मेरे साथ थी उसके दुख समझ नही पाया
अब जब वो साथ नही तब उसे गहराई से जाना

-Rishabh Mehta

बुराई इसलिए खतम नही होती
क्युकी कोई किसी की बुराई को नजरंदाज कर माफ नही करता

-Rishabh Mehta

समस्त बातो एक सार है
किसी की उम्मीद बनने से बेहतर किसी को जीने की वजह दो

-Rishabh Mehta

ऐसा कहा जाता है की विजया दशमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी

अगर आप भी ये सोचते है तो आज में आपसे कुछ कहना चाहूंगा जरा गौर करना

की बुराई तो उसी दिन हार गई रावण की
जिस पल उसने सीता का हरण किया
क्युकी सीता की पवित्रता तथा मर्यादा पर
रावण की बुराई का हाथ उठ नही सका

आज विजया दशमी पर राम की विजय को माना जाता है
परंतु राम ने तो उस रावण पर विजय पाई जो असल में बदल चुका था जिसमे बुराई थी ही नहीं
तो क्या हम इस त्योहार को सीता की जीत कहकर नही मना सकते ?

हम पुरुष प्रधानत्व क्यू देते है जब की पूर्णता तो स्त्री है
अधूरापन तो पुरुष में होता है स्त्री तो पूर्णता की प्रतीक है
इसे बेहतर तरीके से समजावु में तो
स्त्री अपना सब कुछ छोड़ कर आती है एक पुरुष को पूर्ण करने
उसके अनेकों रूप लक्ष्मी स्वरूप जैसे पैसे बचाना
अन्नपूर्णा प्रेम से सबका भोजन बनाना
जन्मदात्री शक्ति स्वरूप सर्जन करता
जरूरत पड़े तो दुर्गा स्वरूप
ज्ञान रूप एक सरस्वती अपने बच्चे को पढ़ाती है
प्रेम संगिनी राधा प्रियसी रूप अपने कान्हा का युगों तक इंतजार करती हुई

हे स्त्री तुझे सत सत नमन है
आज की विजया दशमी तेरे नाम है
कभी सोचा है अगर आज का दिन पुरुष प्रधान था
तो इसे विजया दशमी क्यों कहा गया विजय क्यू नही

कभी सोचा है इस दिन से 9 दिन पहले स्त्री(मां)
के 9 रूपो की पूजा क्यों की जाती है ?
इसका जवाब यही है शायद की 9 रूपो की पूजा कर 10 वा रूप स्त्री का मर्यादा व पवित्रता है

जैसे एक बात स्त्री को ये भी समझनी है
की रावण ने सीता मां का हरण किया था
उन पर कुद्रस्ति डाली इसमें गलती सीता मां की नही थी ये कार्य रावण की वृत्ति का था
पर रावण सीता की और इसलिए खींचा गया क्युकी उनके स्वभाव में चीर शांति थी, धीरता थी, पूर्णता थी, पावन ता थी, मतलब जो चीज रावण के पास न थी इसलिए वो उनकी तरफ मोहित हुआ
और मां ने अपनी पवित्रता तथा अपने स्वभाव से रावण के अंदर की बुराई को खत्म कर दिया

तो हे स्त्री तुझसे पूर्ण कोई नही है दुनिया में
तू सर्वोत्तम है आज में कहूंगा स्त्री_उत्तम है
तुझे रोने के लिए किसी कंधे की आवश्कता नही
तू खुद ही खुद का सहारा है
जब कोई काम करे तो खुद ही खुद के कंधे थपथपाना
खुद ही खुद को शाबाशी देना
बस इतना ही कहना है मेरा हे स्त्री तुझे सत सत नमन मेरा
कोई पुरुष चाहे वो राम ही क्यों न हो तेरे चरित्र पे उंगली उठाने का अधिकारी नहीं

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