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जीवन है ये इसे जीना पड़ता है बेकार रान्हों पर भी चलना पड़ता है सुकून मिले ना मिले जिंदगी में दुनिया को सुकून दिखाना पड़ता है
क्या है रिश्ता नही जानता दोस्त हो या प्यार नही जानता तुम बिन नहीं जिया जाता ऐसा क्यों है नही जानता क्यों तरसते है बात करने को क्यों सिसकते है नही जानता बेचैन है बिन आपके अकेले ऐसा क्यों है नही जानता ✍️ राम ✍️
उनसे दूर रहकर उनको चाहना उनकी आवाज सुनकर खुश हो जाना कितना शरीफ इश्क है हमारा खामोश रहकर दिल से बतियाना
सब सो गए में अभी तक जाग रहा हूं क्या है मेरी मंजिल क्यों में भाग रहा हूं दायरो में सिमटी उन नजरों को मैं भांप रहा हूं उन मासूमों की ख्वाइशो को मैं जान रहा हूं टूटते तारों से हो रही आरजू को सुन रहा हूं क्या है मेरी मंजिल क्यों मैं भाग रहा हूं पसीनो से सींचते अपनों के सपनो को देख रहा हूं तारीखों में बहते अरमानों की पताका हांक रहा हूं सिसकती आवाजों में हारती जिंदगी को समेट रहा हूं क्या है मेरी मंजिल क्यों मैं भाग रहा हुं बढ़ते कदमों के साथ घटती सांसे गिन रहा हूं चमकते चहकते चहरो की उदासी पढ रहा हूं खैरियत पूछता बेगानो से अपनो से रूठ रहा हूं क्या है मेरी मंजिल क्यों में भाग रहा हूं। सब सो गए में अभी तक जाग रहा हूं क्या है मेरी मंजिल क्यों में भाग रहा हूं ✍️ राम ✍️
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