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जीवे सोहनेया जि ...चाहे किसि का होकर जि जिवे सोहनेया जि ..चाहे किसि का होकर जि हस ति बस ति रहे वो राहे जिनपे चलता तु .. मेरि भि गलियो मे आता जाता कल था तु आज भि मुजको याद है आहत तेरे कदमो कि ... जिवे सोहनेया जि ....(२) कभि कबार सनदेसा दे दे कया है तेरा हाल ?? रुत परदेसि रखति होगि शायद तेरा खयाल !! यहान तेरे बिन पतझद सा है ...यहान तेरे बिन पतझद सा है ...हर एक मौसम हि जिवे सोहानेया जि ...चाहे किसि का होकर जि (२)
अपने खालिपन को भरना छोद दिया तनहाई से बिलकुल दरना छोद दिया अब तो मुजको मेरे हाल पे जिने दो अब तो मेने तुमपे मरना छोद दिया . तुमको हिचकि आने से भि दिककत थि मेने तुमको याद हि करना छोद दिया. उसने पिनजरा खोल के पहेलि गलति कि दुसरि गलति पनख कत्रना छोद दिया .
खालि है जो तेरे बिना मै वो घर हु तेरा गुमे फिरे तु चाहे सब शेहर तु है मेरा .. खालि है जो तेरे बिना ... मुज पे कब से लिखा हुआ तेरा हि नाम है मुज मे जो है मेरा सभि तेरा हि नाम है चाहत भि तु मेरि और हक भि है मेरा खालि है जो तेरे बिना मै वो घर हु तेरा... हम से जाने कयु बेवजाह जलते है फासले मिलना तेरे गले पर मिल रहे ये गले ... आजा मीता ये जो है फासला तेरा मेरा खालि है जो तेरे बिना मै वो घर हु तेरा
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