Quotes by Priya pandey in Bitesapp read free

Priya pandey

Priya pandey Matrubharti Verified

@priyapandeypriya98.pandeygmail.com193845
(11)

कुछ दिनों से मन बेहद अशांत है, इतना अशांत कोई बगल में खड़ा हो तो शायद उसे इसकी गूंज तक सुनाई दे दे... इस अशांति कोई खास कारण फिलहाल तो मेरे सामने नहीं है बस इन दिनों नदियों से प्रेम बढ़ सा गया है... बह रही नदियां कितनी खूबसूरत हैं, इसकी खूबसूरती का अंदाजा अब जाकर हुआ है मुझे.... मन मे ख्याल भी आता है कि अगर इन्हें बांध दिया जाए तो क्या हो? बांधों पर रुकी नदियां अब मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं लगती... मुझे लगता है जैसे किसी ने इनसे इनकी गति छीन कर इनकी हत्या करने का प्रयास किया है... इनका बंधा होना, इनका रुका होना ही एक दिन इनको उफान पर ले आता है, ये उफान अपने साथ तूफान लेकर आता है जहां सब कुछ तबाह हो जाता है... जरूरी है कि उफान से पहले नदियों को बहने के लिए छोड़ दिया जाए... इन नदियों का बहते रहना उतना ही जरूरी है जितना हमारा सांस लेना... नदियां जब बहती हैं तो खुद में बेहद बदलाव करती हैं, कभी स्वरूप में, कभी आकार में वक्त की जैसी जरूरत होती है ये बिल्कुल वैसी ही ढल जाती हैं... क्या मैं भी आवश्यकतानुसार ढल पाऊंगी?

Read More

चाहने से कहीं ज्यादा खूबसूरत होता है चाहे जाने का एहसास❤️

भीड़ में अकेलापन किसी श्राप से कम नहीं...

छले जाना वैसे भी दुःखद होता है, मगर सबसे दुःखद होता है प्रेम में छले जाना.. हां-हां मैं यह जानती हूं कि यहां छले जाने की संभावना सबसे ज्यादा होती है लेकिन उम्मीद सबसे कम... हम सब इस भ्रम में जीवित रहते हैं कि हम यहां कभी नहीं छले जाएंगे क्योंकि उसने तो देखा है मुझे, उसने जाना है उसके अलावा कोई और बसेरा है ही कहाँ मेरा.. वो जनता है कि वो ही मुझे बंधे रखने की डोर है ये डोर हटी तो मैं बिखर जाऊंगी और फिर खुद को कभी समेट नहीं पाऊंगी.. कोई जब इतना कुछ जानता है मेरे बारे में तो वो शायद मुझे कभी नहीं छलेगा.. और फिर ये भ्रम टूट जाता है, औरों की तरह हम भी छले जाते हैं, बिखर जाते हैं, फिर अपने बिखरेपन के साथ ही जीवित रहते हैं

Read More

वो जो इश्क था, जुनून था..
ये जो हिज्र है, नसीब है..

और कहने को क्या रह गया

हर फिक्र को धुएं में उठाता चला गया

हर सच आपकी जीवन सवारें ये जरूरी नहीं

मन की व्याकुलता केवल मुस्कान ही छिपा सकती है