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शराफत का कोई मोल नहीं है पैसा बताता है कि आपकी कीमत क्या है...
चाहत की कसम
चलता फिरता मशीन बन जाता है इंसान जब जिम्मेदार बन जाता है आईने में तलाशता है खुद को मासूमियत ना जाने कहाँ खो जाता है कल तलक तो हस्ता रहता तो लोगों के बीच में अब क्यों दिल खामोश हो जाता है पहले सुनाते थे हाले दिल सभी को अब तो दिल हालात अपने सबसे छुपाता है
जिसके बारे में सोचा अच्छा ही सोचा मैंने बुरे बन गए सभी ले लिए वो अलग बात है -praveen singh
चुभती है किसी का किए हुए फरेब की टीस हर वक्त दिल में कि अच्छा इंसान भी बुरा बनने से फिर परहेज नहीं करता है -praveen singh
मेरी उम्र की कभी परवाह नही की गुस्से में आ जाये माँ, तो मुझे थप्पड़ लगा देती थी जब कभी किसी उलझन की वजह से मैं परेशान रहने लगता था और रात में मुझे नींद नही लगती थी अपने आचंल मे, मेरा सर रखती थी और मेरे सर पर अपना हाथ फेरते फेरते ना जाने क्या जादू करती और मुझे सुला देती थी
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