Quotes by prashant chaudhry in Bitesapp read free

prashant chaudhry

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@prashantchaudhry7187


तुम्हें देखा था जब हमने गुलिस्तां हाथ में लेकर दिल की दहलीज पर जैसे किसी ने चोट मारी थी, मचलकर चाँद छुप बैठा था दिल की तंग गलियों में,वो तेरा मुस्कुराना ही मेरी इश्क़ की खुमारी थी ।
-प्रशांत चौधरी

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क्रोध है प्रतिशोध है बस कुछ दिनों का रोष है
जिंदगी की उलझनों से कब किसी को होश है
खूब चर्चा चल रही है फेसबुक के मंच पर
रूप में मानव के चलती होड़ है अपभ्रंश पर
क्यों करी संसार की विश्मोहक श्रोणित सी रचना
दैत्य दानव क्यों बनाये ये खुदा का दोष है ।

-प्रशांत चौधरी

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