The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
"मुट्ठी भर रंग" प्रेम में लिखे गये कहे गये किस्से हर पहलू को चूमती शब्दों की तितलियाँ हैं जो जानती हैं ये रंग चुराने के लिए साँसें ही नहीं सामर्थ्य भी जुटानी पड़ती है ये किस्से महज़ किस्से तो नहीं आसमान से उधार लिये गये मुट्ठी भर रंग से हाथों पैरों में लगाया गया ; आलता है इन तितलियों के परों के रंग प्रेम से जुड़ी साँसों की प्राचीर हैं इनको छूने से हाथों पर रह जाने वाले रंग सामर्थ्य के शिलालेख #pranjali ...
आओ कि मुहब्बत की फिर वो बात करनी है कुछ किस्से सुनाने हैं एक मुलाकात करनी है तेरे पहलू के रंज़ों गम मेरी आँखों के आँसू हैं होंठों पर सजे खुशियाँ वो बरसात करनी है तेरे दामन की रंगत में ना जाने साज़िशें कितनी चटक रंगों की निगहबानी सारी रात करनी है मेरी जुल्फों में उलझी थी तेरी कमीज की बटन तेरी बाहों में सिमटने पर वही करामात करनी है तेरी जीस्त का मौसम कुछ ऐसा रहे मेरे हमदम मुहब्बत के चिराग से रोशन तेरी कायनात करनी है #pranjali #Aspect
मेरे पहलू में काँटे थे तेरे पहलू में खुश रंग मेरा दर्द लेकर तुमने ,रंगत मेरी बदल दी है #pranjali ... #Aspect
आओ कि संग मुहब्बत का हसीं मंज़र हम देखें मेरे पहलू के आब ओ चश्म तेरे पहलू के रंग देखें #pranjali ... #Aspect
कुछ किस्से मुहब्बत के मुनासिब जो हुये मुझको तेरे पहलू की रंगत लिये वो तितलियाँ ही तो थीं #pranjali ... #Aspect
जी उठे थे जो अरमाँ तेरे पहलू में आकर कह रहे हैं कि तुझे खबर न दूँ उनके मरने की #pranjali ... #Aspect
चलो कहीं दूर चलें जहाँ बोलने पर सख्तियाँ न हों गले में रिश्तों की तख्तियाँ न हों आँखों में झाँकती मुहब्बत ही मिले गिले शिकवों की नर्मियाँ न हों चलो कहीं दूर चलें जहाँ धड़कनों पर फब्तियाँ न हों मचलती हों ख्वाहिशें और दूरियाँ न हों एक जमीं हो परछाईं हो एक हवा भी अब हमारे दरम्याँ न हो चलो कहीं दूर चलें #सरगोशियाँ ...
कविताओं में दिखता है मुझे अपनी कहानी का चेहरा हर रंग रूप में कुछ इस तरह जैसे छंद की कोई बेहतरीन विधा हो जबकि कहानियों में दिखता हर चेहरा मुझे अनजान लगता है शायद अभी तक लिखी गयी कोई भी कहानी मेरे लिए नहीं
जमीं ने फ़लक को जिस जगह चूमा था मेरे मन के मरूस्थल पर वो जगह हृदय की गहरी तलहटी में है हर रात नींद में स्वप्नों पर पाँव रखकर मैं वहाँ जाती हूँ ताकि वहाँ जाकर प्रेम की एक कविता उगा सकूँ
#"कभी काजल नहीं हटने दिया मैंने" मेरी आँखों में पूरी दुनियाँ देख लेता था वो उसके सपनों की पोटली मेरी आँखों में रखी थी जिसको मैंने बहुत जतन से संभाल कर रखा आँखों पर काजल लगाकर मैंने हर बला को उसकी दुनियाँ से दूर रखा और मेरी आँखों में झाँकर कर वो हम दोनों के दर्द संभाल लेता था उसने मुझे कभी रोने नहीं दिया इसीलिए उसके जाने पर भी मैं रोयी नहीं उसकी दुनियाँ आज भी मैं अपनी आँखों में संभाल कर रखती हूँ और उसके सपनों को बुरी नजर से बचाने के लिए मैं आज भी काजल हटने नहीं देती #p -:
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser