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करी थी कभी जो कल्पनाएं, आज सभी वह साकार हुई, भारतीय तिरंगा लहरा के, चांद की जमीं भी निहाल हुई। #चंद्रयान_3 -Pragya Chandna
कभी रंग-बिरंगी पतंगों से सजता था अपना चमन, अब बिल्कुल ही सूना पड़ा है, देखो यह नील गगन। थोड़ी बहुत फुर्सत मिले तो आ जाना अपनी छत पर, हम तुम मिलकर फिर उड़ाएंगे, अपने सपनों की पतंग। मकर संक्रांति एवं लोहड़ी की लख-लख बधाईयां। -Pragya Chandna
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