Quotes by મનિષકુમાર પ્રહલાદભાઈ પટેલ in Bitesapp read free

મનિષકુમાર પ્રહલાદભાઈ પટેલ

મનિષકુમાર પ્રહલાદભાઈ પટેલ

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ऐसा नहीं की सिर्फ दर्द ही लिखा है इस कलम से,
बस उम्मीदें ठहरी ही नही उन कागज़ के पन्नों पे।

– मनीष

अंधेरी अमाव्स से डर तुने आकाश को नहीं देखा,
उम्मीद थी और भी सितारे देखे तु सूरज के सिवा,

चलो फिर भी तुने बिन्दुवत मुझे जहां से है देखा,
हजारों सूरज समेटे बैठा हू मैं एक शोले के सिवा,

बोनापन कैसे कहु तेरा,नूर तुजमे उसी का देखा,
कमी तुज़मे कुछ नहीं,बस नजदीकियों के सिवा,

क्या हर एक बात पे लिखता रहू एक एक कविता!
शब्दों की उष्मा भी महसूस कर स्याहि के सिवा,

मेरी ना सही तू इस कलम की तो इज्जत कर,
इससे कुछ भी लिखवा बस एक मुजरे के सिवा,


- मनीष
12/05/2021
Wednesday

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तबाह खुद ही कर लूं खुदको मगर,
पर फिर दुश्मनों का काम क्या है?

बर्फिली वादियों मे घूमना,ठीक है,
पर फिर वहा ठंड के सिवा क्या है?

बदन बेइंतिहा खूबसूरत है तेरे पास,
पर फिर उसमे दिल और रूह क्या है?

नौचले वेसिहत का हक है समाज से,
पर फिर उस जिस्म से आशिकी क्या है?

मेरे वक्त और जहेन पर गिरफ्त है,
पर फिर तुझे उसकी कद्र क्या है?

वक्त पर आना जाना ठीक है, इबादत मे,
पर फिर पूछ जरा खुदा से, मंजूर क्या है?

शून्य मिल्कियत और मरीज दिल का,
पर फिर 'मनिष' तेरा वजूद क्या है?

- मनिष
07/05/2021
Friday

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