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'कडवे शब्द ' खाली पडी है पुस्तकालयें मंदिर-मस्जिदोंमे भीड पडी खाली पडी है नौकरीयां चुनाव समय से हो पडी कागज पे बन गया रास्ता खीस्से देखके जमीं रो पडी गुन्हेगार तो नेतागीरी करता आम आदमीसे जेल भर पडी लोग विकास को युं ढुंढते रहे 'माहि' विकास तीजोरी मे बंद पडा -पवार महेन्द्र -१९/११/२० -Pawar Mahendra
" सोच समझकर बुनना" कोई कमल खिलाता हेै,कोई हाथ दिखाता है यारो यह मत देखो तुम,कोई सहद खिलाता है मत चूनो निशाना तुम,कोई जहर खिलाता है कोई झाड़ू दिखाता है,कोई हाथी दौडाता है यारो पठे लिखे हो तुम,अपनठ ठेंगा दिखाता है बिना सोचे बिना परखे,क्युं नेता चुनते हो तुम! यारो छोडो पक्षपात तुम,अच्छा नेतृत्व चुनना है कोई वादा निभाता है,कोई हवा उडाता है कोई घर घर लडवाता है,कोई बेघर हो जाता है नेता महल बनाता है,दाता चुनौती लडता है यारो पठे लिखे हो तुम,अपना भविष्य चुनना है जरा सोच समझकर तुम,अपनां वोट डालना तुम यारो यहीं गिरगिट रहता है,पलभर में रंग बदलता है तुम बिको मत कौडी में,वह यहीं से वसूल करता है बिना बिके बिना बके,तुम्हें किंमती वोट डालना है 'माहि'यह राजनीति है,गंदी है पर तुम्हीं से बंधी है -पवार महेन्द्र -Pawar Mahendra
"થોડી અસર થવા લાગી છે" ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી અસર થવા લાગી છે ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી કદર થવા લાગી છે કોણ માંગે છે! વહાલનો દરીયો! આટલું જ બહું ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી સફળ થવા લાગી છે એક પળ છાયો ઘડીભર તડકા છે મારા જીવનમાં ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી સફર થવા લાગી છે પ્રેમ નથી કે નથી નફરત આ સંબધનું નામેય નથી ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી મિઠાસ થવા લાગી છે લોકોને સાબિતી આપવાની જરૂર નથી હે! માહિ ઘણી નહીં પણ થોડી થોડી અસર થવા લાગી છે -પવાર મહેન્દ્ર -Pawar Mahendra
"मानवता खत्म हो गई " चंद्र,मंगल पे पहुंचने की बडी बात हो गई स्वर्ग की भूमि आज सच मे ग्रहण हो गई देश में बलात्कार की घटना सामान्य हो गई शोक में दिया बत्ती जलाने की फेशन हो गई कोई कहता है घटना की कडी निंदा करता हुं देश की इज्जत यूंही दिन बदिन लुटाती गई यूं शब्दो से निंदा मत कीजिए मेरे जनाब मौत भी कांप उठे ऐैसी सजा फरमा दिजीेए फेसबुक,वोट्सअेप पर खबर फोरवर्ड हो गई दूसरे दिन जस्टीस फोर करके खत्म भी हो गई यह सब छोडो कबतक चुडियांँ पहनोगे तुम जाग्रत हो जाओ वरना समझो बडी देर हो गई यह महाभारत नहीं जो चीर हरण देख सको यह नया भारत है कहदो शिर कलम हो गई अब तो जरा शर्म करो हर बात में राजनीति "माहि" कलम उठा वरनां मानवता खत्म हो गई -पवार महेन्द्र
" प्यासा समंदर " समंदर में रहकर हम इतने प्यासे थे एक लब्ज पें जां न्योछावर कर देते थे हर शक्स के पास उम्मीदें ले जाते थे जैसे किनारा मिला छूटी नांँव हम थे जैसे रातो में रोता चांद वैसे हम थे सूबह में जाने हम खिलते सितारे थे हमसे कोई सिखता था खूश रहना दिल में तो हमारे दु:खो के भंवरें थे बूरे वक्त में किसी के टाईम पास थे 'माहि' अच्छे वक़्त में कहाँ याद थे -पवार महेन्द्र -Pawar Mahendra
"खूदको चाहेंगे" शिखा दिया उसने अकेले जीना हमें जख्म दिये इतने की पुरा जीवन चले डर लगता है प्यार नाम की चीज़ से शितल पर जहर से कम नही है ये जो मीला वह प्यार के लायक नहीं प्यार के लायक थे उसे पा न सके ना रही वो आश ना रही कोई चाहत अब बहते नयनों से प्यास बुझा लेंगे कोई साथ दे या ना दे हम जी लेंगे यूंही दर्द की कलम चलाये मर जायेंगे छोड दि सब उम्मीदें छोड दि आहट 'माहि' बाकी बचा वक्त खूदको चाहेंगे -पवार महेन्द्र -Pawar Mahendra
"बेशक कह दो" अगर दर्द ही देना हे तो बेशुमार दो अगर प्यार ही देना हे तो बेशुमार दो अतित का हिसाब आज मत करो गलती आज की हेै,सजा आज दो बार बार वही कहानी मत दोहरानां अगर बिछडना है तो बेशक कह दो पहले जैसा था वेेैसा ही हूं आज भी दूसरो से मेरी तुलना मत किया करो मुझे कहने की बांते सिर्फ मुझे कहो कुछ सुधारना है तो मुझे अवसर दो इन्सान जो हुं गलतियाँ होगी मुझसे 'माहि' जो कहना है, बेशक कह दो -पवार महेन्द्र -Pawar Mahendra
મને હરહમેંશ તમને યાદ કરવાની કૂટેવ છે તને હરહમેંશ મને ભૂલાવાની ખોટી ટેવ છે -પવાર મહેન્દ્ર
ખરીદી કોઇ પણ ભાઇબંધને ત્યાં ના કરવી જોઇએ ભાઇબંધ સારો હશે તો મફતમાં આપી દેશે અને ભાઇબંધ લૂંટારો હશે તો ભાવતાલ વગર લૂંટી લેશે. -પવાર મહેન્દ્ર
હે ઇશ્વર તમને લોકો મંદિર મસ્જિદમાં શોધે છે ધબકતા દેહમાં વસોને લોકો પથ્થરોમાં ગોતે છે
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