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आदित्य पारीक

आदित्य पारीक

@pareek.adityarajgmail.com1816
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तुम सभ दिन के सूरज हो तुम्हारा उजाला अलौकिक है में रात का अदना सा दीपक हु पर अंधेरो से दो-दो हाथ करता हु मेरी सख्शियत के रंग फीके है मालूम है मुझे पर दाग एक भी नही है ये गुरुर है मुझे मुझे कैसे जीना है ये फैसले अब तुम करोगे चलो कर लो मेरे अपने हो अधिकार है तुम्हे #आदित्य पारीक

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दिसम्बर की ठंडी हवाओं बहुत इतरा रही हो ना
कभी करीब आओ इस दीये के जून की लू ना बना दु तो कहना
आदित्य पारीक

भरोसे जुगनुओं के फिर बगावत उजालो से कर आया
सौदा रोशनी का आज में रातो से कर आया
-आदित्य पारीक

तेरा फिर लौट के आना महज कोरी कल्पना है मुझे मालूम है ये पर में हर रोज करता हु।
तेरी जुल्फों की शीतल छाव में बेफिक्र सो जाना
ये वो ख़्वाब है जिसको में अब हर रात बुनता हु ।

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मेरे हिस्से में बेचैनी , वेदना , दर्द और आंसू

मोहब्बत की वसीयत से

तेरे हिस्से में क्या आया ?

कही ख़्वाब हकीकत होते देखे है
फिर से इक ख़्वाब बुनने को