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शिव गोपाल श्रीवास्तव

शिव गोपाल श्रीवास्तव

@onlyshivgopalgmailcom1999


*अपील*
*** *जय माता दी*****
सभी मित्रो को प्यार भरा प्रणाम् ??
मित्रो जैसा की आप सभी जानते है की इस समय पवित्र नवरात्रे चल रहे है......सारा वातावरण भक्ति मय है.......
मित्रो *पहल संस्था* पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी आप सभी के सहयोग से *पहल की पाठशाला मे पढ़ने वाले गरीब असहाय जरूरत मंद बच्चों के लिए... *प्रसादी कैम्पेन* चलाना चाहती है.........
मित्रों *पहल संस्था* का उद्देश्य शुरू से ही हर जरूरत मंद की मदद करना रहा है.....
जिसके लिए संस्था पूर्णतः प्रतिबद्ध है....
मित्रों *पहल संस्था का उद्देश्य समाज के सामाजिक उत्थान के साथ साथ समाज का सास्कृतिक उत्थान करना भी है .... *पहल संस्था* उन *बेबस असहाय जरुरतमंद बच्चो को साक्षर करने के साथ - साथ उनमे सांस्कृति भावनाओं का भी संचार करना चाहती है... *प्रसादी कैम्पेन* उसी का हिस्सा है
प्राय: देखने मे आता है की हम कन्याओं मे भी जांत पात देखते है...और कई बार ऐसा भी होता है की एक कन्या एक दिन में 5 से 8 जगह कन्या भोज मे जाती है.....
अब कहना तो नही चाहिए लेकिन इन परस्थितियों मे यहां पर कन्या भोज महज औपचारिकता भर ही रह जाता है...
पहल का *प्रसादी कैम्पेन* इसी का एक हिस्सा है....यहां पर कोई औपचारिकता का कालम नही है......
*प्रसादी कैम्पेन* दुर्गम गांवो मे बिना किसी की जांत पांत को देखे...हर जाति वर्ग के जरूरतमंद बच्चों के बीच होगा......जिसमे आप सभी के सहयोग के साथ साथ आप सभी की उपस्थित भी अनिवार्य होगी.... *प्रसादी कैम्पन* 7 सितंबर को लक्ष्मीपुर एवं गुटैय्या मे गोमती पुल के पास प्रस्तावित है पहल संस्था द्वारा उक्त स्थानो का पूर्व मे ही भौतिक सत्यापन किया जा चुका है.....
यदि आप की नजर मे भी कोई ऐसी जगह है जहां हम *प्रसादी कैम्पेन* कर सकते हो....तो आप तुरंत इस नम्बर पर
*91985 47002*
सूचित कीजिए हम आप सभी के सहयोग से उक्त स्थान पर *प्रसादी कैम्पेन* आयोजित करने की पूरी कोसिस करेगे....

*सारा “जहान” है जिसकी “शरण” में,*
*“नमन” है उस “माँ” के “चरण” में,*
*हम हैं उस माँ के “चरणों की धूल”*,
*आओ “मिलकर माँ” को चढ़ाएं “श्रद्धा के फूल”*

*जय माता दी*
*पहल एक कदम बदलाव की ओर*
*मिशन प्रसादी कैम्पन*

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ना होगी कभी फुर्सत जिंदगी में,
गर कभी मिले फुर्सत
तो बैठ जाना खुद के पास,
सुना है खुद के अन्दर खुदा होता है।।

@शिव श्रीवास्तव

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आना निश्चित
जाना निश्चित
जब सब निश्चित
तो क्यो चिंतित

@शिव श्रीवास्तव

वो खुद से ही है अनजान
मुझको कहते है अपनी जान
जान जायेगे जिस दिन मेरी पहचान
हो जायेगे खुद से ही हैरान


@शिव श्रीवास्तव

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जब जाना मुक्म्मल ही है
तो क्यो उदास होते हो

@शिव श्रीवास्तव

आज यहां कल होगे कहां,
ना जाने जाना और कहां।
जीवन जीना है एक कला,
सुन्दर सपनो की ये बेला ।।
अपनी छोटी सी दुनिया थी,
जब हम छोटे थे पर घर मे थे।
जिसके राजा हम खुद ही थे,
सब कुछ था उस दुनिया में।
तब सब अपने भी संग मे थे,
अपनो संग बीता समय सुनहरा।
हम सब से ज्यादा थे प्यारे सबको
संग, उठना, हंसना, खाना सोना।
सब बीत गया यूं क्षण भर में,
जब सब के रस्ते हुए अलग।
मंजिल सबकी है सघर्षो मय,
पर याद अभी भी वो वक्त मुझे।
जिस वक्त नही था बोध मुझे,
सबका मिलना अब सौभाग्य है।
जो कभी एक संग खेले थे,
हंसते गाते चिल्लाते थे।
ना फिक्र कभी कल की करते,
पर आज समय के चक्र मे सब।
है फसे हुए चिंतित से सब,
है जीवन जीने की जद्दोजहद।
है वही वक्त है वही समय,
पर सब है अपने अपने मे उलझे।
हे ईश्वर: है ये सब तेरी माया,
है कौन कहां कब किस से मिलना
तूने सब कुछ निश्चित कर रखा है
जीवन रूपी रंगमच यहां
किरदार सभी का निश्चित है
स्वरचित....
शिव श्रीवास्तव©®

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बात गैरों की करते जब इस जुवां से,
शब्द बनते बिगड़ते निकलते जुवां से।
बात अपनों की आती जब इस जुवां पर,
क्यो मौन हो जाते तब हम वहां पर।

@शिव श्रीवास्तव?️

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