Quotes by OMKAR BPGS SOUR in Bitesapp read free

OMKAR BPGS SOUR

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@omkarsour7212


आज स्नेहा हुई पराई ,
पेड़ से लताए हुई पराई !
एक वर्ष पहले हुई सगाई ,
स्नेहलता-कोहिनूर की न सगाई !

जब वह बनी दुल्हन ,
तो सीना कोहिनूर दहल उठा !
क्योंकि बेपनाह इश्क था ,
जो उससे मिलने का रिश्क था !

प्राकृति का इशारा क्या था ,
उसे स्नेहा का इशारा क्या था !
उन्हें एक दूसरे का यकीन था ,
प्राकृति का नजारा और था!

वह सच कहती थी ,
ऐसा समय आएगा !
वह जहां जहां जाएगी ,
कोहिनूर वहीं वहीं पहुंचेगा !

इश्क़ उमंग हैं,
शरीर की चंचल तरग हैं !
विश्वास का नाम हैं ,
स्नेहासक्ति का संगम हैं ! 'ओंसौ'

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अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिल जायें ,तो हर शिक्षित व्यक्ति अपने विचार प्रस्तुत कर सकेगा ।