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Neha Awasthi

Neha Awasthi

@neha1984
(43)

इक पल की भी खामोशी, अब अच्छी लगती नहीं है ।
तुम साथ ना हो; तो ये जिंदगी, जिंदगी लगती नहीं है ।

मिलेंगे कभी हम भी तुम्हें तुम्हारे तरीके से,
फिर ये ना कह देना कि ये तरीका ही पुराना हो गया ।

ऐ जिंदगी ! तू इतनी आसां भी नहीं कि तुझे जी लिया जाए ।
पर मुश्किल भी तो इतनी नहीं कि तुझे यूँ ही छोड़ दिया जाए ।
डगमगाहट बहुत है तेरे रास्ते पर,
गर बिना चले ही रास्ता कैसे मोड़ दिया जाए ?

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चाहते हैं जो करना हो कर पाते क्यों नहीं ?
चिड़चिड़ाहट ये मन से जाती क्यों नहीं ?
क्या करें ऐसा जो हो जाए शांत,
समझे हर चीज को बिना हुए परेशान,
बस खुद पर अब इतना एतबार होता क्यों नहीं ??

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टुकड़ों में टूटा है दिल, तो आवाज क्या करें ।
उन्हें चुना भी हम ही ने था, तो शिकायत क्या करें ।

ख्वाब बनकर तुम्हारी, आँखों में रहना चाहती हूँ ।
दिल बनकर तुम्हारे, सीने में धड़कना चाहती हूँ ।
हाँ, ख्वाहिशें तो बहुत हैं मगर,
आज एक अरमान सुनाना चाहती हूँ ।
जो हो शुरू और खत्म तेरे नाम से,
मैं वो जिंदगी जीना चाहती हूँ ।
मैं वो जिंदगी जीना चाहती हूँ ।।

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अब यूँ ही तन्हाई में, हम दिल को सजा देते हैं ।
नाम लिखते हैं तेरा, लिख कर मिटा देते हैं ।

आंखें ये कुछ कह रहीं हैं ।
देखने को बस तरस रहीं हैं ।
मिल जाओ इन्हें तुम पल दो पल के लिए,
अक्श तेरा ही ये खोज रहीं हैं ।

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इश्क, मोहब्बत, प्यार, चाहत, बस ये तो चुने अल्फाज हैं ।
हमने तुमसे जो किया, इन शब्दों का मोहताज नहीं ।
दिल से दिल का वास्ता है, मेरा तुझसे ।
पल भर का तो नहीं हमारा, ता - उम्र का ये साथ है ।

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हर रोती आंख का दर्द कुछ यूँ बयां होता है ।
चेहरे की है जो हंसी वो बस महज एक धोखा है ।