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मेरा नाम लिया जाएगा ------------------ आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया जैसे मैं जी लिया किसी से, क्या इस तरह जिया जाएगा काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना कविता तब मीरा होगी जब, हँसकर ज़हर पिया जाएगा
एक अनपढ़ा ख़त .... ! प्रिय माँ..... (जो होनेवाली थी....) (राग: तू कितनी अच्छी हैं, तू कितनी भोली हैं प्यारी प्यारी हैं..... ) मैं तेरी बच्ची थी कोख़ में पलती थी प्यारी प्यारी थी ओ माँ.... (4) प्रभु ने बख्शी थी गर्भमें रखी थी मै खुद नहीं आईथी ओ माँ.... (4) सुख से मैं सोती थी तेरी पाके झोली ढ़ेर सारी परियां थी मेरी हमजोली मेरे इस धरती पे ख़ुशी से आने की दुआ वो करती थी ओ माँ.... (4) सपने संजोए थे माँ, मैंने मेरे मन से लिपटी रहूँगी में माँ मैंतो तेरे तन से पीऊँगी दूध तेरा खिले तेरा चेहरा मैं धन्य हो जाउंगी ओ माँ.... (4) कितना भयानक, दिन था वो मनहूस ज़रुरत नहीं है मेरी, किया ऐसा महसूस जुदा मनसे किया, निकालके फेंक दिया मैं कर क्या सकती थी ओ माँ.... (4) क्या तू जानती हैं माँ, रोई थी मैं कितना मेरे साथ रो रहा था सारा स्वर्ग इतना हुआ दुःख जब देखा खुदा को खुद रोता मै रुक नहीं पाई थी ओ माँ.... (4)
जद्दोजहद... !!! 'चाहत' और 'हक़ीक़त' के बीच ये दुनिया पलती है चाहते हुए भी, हर चाहत हकीकत में ना ढलती हैं वो जद्दो जहद का दूसरा नाम ही तो ज़िंदगी हैं जिस से ये ज़िंदगी बनती हैं, संवरती हैं और चलती हैं .... !!!
-- Ajay Yadav मातृभारती के माध्यम से साझा किया.. https://www.matrubharti.com/bites/111043173
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