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ऐ --जिंदगी तु बहुत रुलाती है ! मिले ज़ख्म अभी ठीक से भरता नहीं !! एक और गहरा जख्म दे जाती हैं ! इंसान हैं क्यों पत्थर समझा रब ने!! मुस्कुराने की एक वजह देखकर! रोने के सौ वजह दे जाती हैं।!!
इश्क है इस दिल का करार भी मुझे सुकून मिला दर्द बेहिसाब भी ना करूं मोहब्बत तुझे दिल रूका ही नही जज्बात में ऐसे बह जा रहे खुद को गवाया भी ़ तू मेरा इश्क का हर्फ पढु और तुझे गढ़ू भी मलाल नहीं तु ही दिल मे और दिल से दूर भी कभी जुदा कर ना पाए अपने वजूद से लम्हा तेरा साथ मयस्सर नहीं फिर इश्क मुक्कमल भी
हर ज़ख्म भर जाता है पर उसका दर्द जाता नहीं बीच सफ़र मे छोड़कर चला गया ताउम्र याद बनकर तड़पाता है भुल जाने की जो कसम दे गया कैसे बताऊं यह दिल भूल पाता नहीं जाना था ,मेरी जान , तो बता कर जाते रहबर थे चाक दिल किया जाता नहीं
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