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Manjusha  Deshpande

Manjusha Deshpande

@manjushadeshpande8517
(494)

कविता
' एज इज जस्ट अ नंबर '

नेहमी माझा गोंधळ असायचा
की मी ' ही ' आहे का मी ' ती'
नक्की कोण आहे बरं मी
शोधताना होते कायम फजिती

लहान असतांना होते मी
छकुली सोनुली बबडी
तेव्हा वाटायचे मला
मी लहान नाही एवढी

शरीराने वाढत गेले
भूमिका बदलत गेले
दिदी ताई मावशी आत्या
अशी विशेषणे लागलें गेले

लग्नानंतर परत बदल झाले
काकू मामी वहिनी झाले
भूमिकांमधील हा बदल
काळानुसार स्वीकारत गेले

आजीच्या हाकेने मात्र
मन पुरते हलले गेले
मग विचारात पडले की
कधी बरं मी म्हातारी झाले

जीवनाच्या रंगमंचावर
असा हैदोस भूमिकांचा
आपण नक्की कोण आहोत
ध्यास जीवा शोधण्याचा

मनाची झाली घुसळण
वर आले सत्याचे नवनीत
त्याचा आस्वाद घेत
सुरू झाले नवं जीवनगीत

सत्याच्या जाणिवेने कळले की
मी तर ती तशीच आहे चिरंतन
शरीर जरी थकले तरी
मी मात्र तीच आहे निरंतर

म्हणूनच आता खात्री पटली
की एज इज जस्ट अ नंबर
अपुन तो हैं हमेशा के लिये
वही का वही बंदा सिकंदर

_ मंजुषा देशपांडे, पुणे.

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स्वादिष्ट का सच्चा मतलब भुखें पेट को
समझ में आता हैं।
खाली पेट सुखी रोटी भी मिल जाये तो
वो भी स्वादिष्ट लगती हैं।

#स्वादिष्ट

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माना की हैं मुझे तुमसे बहुत प्यार।
मगर मुझे हैं तुम्हारी हाँ का इंतजार।
अगर नहीं पसंद तुम्हे मेरा ये इज़हार
तो खुशी खुशी स्वीकार हैं तुम्हारा इन्कार।


#तुम्हारा

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सच्चे प्यार में नही होता हैं कुछ हमारा तुम्हारा
जी लो अपनी जिंदगी बनके एक दुसरे का सहारा
हमेशा याद रखना की ये जिंदगी ना मिलेगी दूबारा।
#तुम्हारा

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प्यार में भी बरतनी चाहीए चौकसी
न आये कभी भी कोई बेबसी
बह जाना तो आसान होता हैं
लेकीन होता हैं मुश्कील सँभलना।
#चौकसी

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हम जीवनभर जीने का अर्थ खोजते हैं।
किसी को जल्दी मिल जाता हैं तो कोई इस की तलाश में पुरी जिंदगी गुजर देता हैं।
लेकीन अर्थ की खोज में उलझना ही जीवन हैं।
अर्थहीन जिंदगी खुद को नकारात्मता की ओर खिंच लेती हैं और जीवन रसहीन हो जाता हैं। अर्थ की खोज का संघर्ष का नाम ही जीवन हैं।

-Manjusha Deshpande

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पती को खोने दुख क्या हैं
ये सिर्फ वो विधवाही जानती है
फिर उसने कैसे रहना चाहीए
क्या पहेनना चाहीए
जिंदगी कैसी जिनी चाहीए
ये निर्णय उसके उपर छोडो
वो भी एक इन्सान हैं
ये बात कभी मत भूलो।
#विधवा

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भावनाँए जब शिकार कर लेती हैं मन का
तब कुछ भरोसा नही रहता अपने बर्ताव का
इसलीये काबू में रखो अपनी भावनाँओ को
और जतन करो हमेशा अपने मन की शुद्धता को

#शिकार

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काम क्रोध लोभ मोह माया अहंकार
मचाते है ये विकार जीवन मैं हाहाकार
जो पा सकता इन दुश्मनों पर जय
वहीं होता जीवन का सच्चा #विजय
#विजय

मंजुषा देशपांडे, पुणे

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जिंदगी का समय हैं अनिर्धारित
न कर मन को विचलित
अगर रहेना हैं हर पल जीवित
तो कर खुद को प्रभावित
#अनिर्धारित

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