Quotes by मालिनी गौतम in Bitesapp read free

मालिनी गौतम

मालिनी गौतम

@malini.gautamyahoo.in3355
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एक भोली-भाली आदिवासी लड़की की कहानी ....


मेरी नयी कहानी "कांता" आप सब नीचे दी गई लिंक पर पढ़ सकते हैं।


https://www.matrubharti.com/book/19888743/kanta

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पिता

पिता संचित करते रहे
भर भर अंजुरी जल
कि बहती रहे सबकी नैया
पिता नदी थे ।

भँवर में डूबती-डगमगाती नैया को
पतवार थामकर
उबार लिया पिता ने
पिता कुशल मल्लाह थे ।

परास्त होकर
पीछे लौटने वाले रास्तों पर
पिता दीवार की तरह खड़े थे
कि आगे बढ़ना ही
एकमात्र विकल्प था
पिता हौसला थे ।

पिता ने सहेजे
कुछ तुतलाते शब्द
एक मोगरे सी हँसी
कुछ जिद
कुछ आँसू
नन्हें-नन्हें पैरों की छाप
और रच दी जीवन की सर्वश्रेष्ठ कृति "बेटी"
पिता एक अद्भुत चित्रकार थे ।

मालिनी गौतम

सभी मित्रों को पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌺🌺🌺

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मानव मन की अबूझ परतें.... संवेदनाएँ ...


मेरी नई कहानी मुमताज़ आप सब नीचे दी गई लिंक पर पढ़ सकते हैं ।
https://www.matrubharti.com/book/19886224/mumtaz

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ज़िंदगी

ज़िन्दगी पाइथागोरस प्रमेय नहीं
कि बंध जाए
किसी नियम में,
कुछ इनवर्टेड कौमा यहाँ
कभी नहीं खुलते,
कुछ मुस्कराहटों के पीछे
छिपे दर्द का
कोई हिसाब नहीं होता,
चश्मे के पीछे से झाँकती
कुछ आँखों की गहराई
कभी पता नहीं चलती,
कुछ मौन कभी
शब्द नहीं बनते,
कुछ रंग फीके नहीं पड़ते
बल्कि गहराते जाते हैं
उम्र के जर्जर कैनवास पर ।

मैं बावरी-सी
कभी नहीं सुलझा पाती
ये उलझी हुई गुत्थियाँ
थक-हार कर
अपनी ही फूँक से उड़ा देती हूँ
माथे पर बिखरे बाल
और कहती हूँ...
छोड़ लड़की......जाने भी दे
क्या सुलझाना ?
कि कुछ उलझने
अच्छी लगती हैं दिल को ।



मालिनी गौतम

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