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कभी गालिब तो कभी गुलज़ार से हुए कभी खास तो कभी बेकार से हुए लेकीन..... जैसे भी हुए हम शायर हुए तो तुम्हारे प्यार से हुए.......🌹
इजहार ए इश्क तुम्हीं करो तो बेहतर होगा तुम्हें देखकर मेरे अल्फ़ाज़ लड़खड़ाते हैं
यादें तुम्हारी घुल रही है इस गुनगुनी सी धूप में, दिसंबर जाने क्यूँ मीठा मीठा सा लगता है...
दिन ढलते ही मुझसे सारी बात कहती है... कुछ यादें मेरे साथ सारी रात रहती है...
और बताओ जीवन मे समय की कमी है या सनम की कमी है या फिर शर्म की या इज्जत की 😹😹😹🙈🙈
कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है, मेरे रग-रग में चाय सफर करती है..❤
सुन सजनी मेरी जिंदगी की सुबह हो जाये गर देख मेरी आँखो की लाली बाँच मेरे अधूरे ख़्वाब कहो उठो_ चाय की चुस्की के साथ उँडेल लो भीतर नयी धूप का टुकड़ा कोई हमारी क़ुर्बते दम न तोड़े गर मुरझाया देख सींच दो मुझे आग़ोश मे भर कह दो तुम जान_ मुझे तुम्हारी जरूरत है मुझे तुमसे महुबबत है
किसी चाय सा था … तेरा मेरी ज़िंदगी मे ठहरना बेशक ज़रा सा ….. मगर बेहद खूबसूरत !!!
कितना खूबसूरत है ना कि.. तुमको अपनी कल्पना में बसाना तुम को अपनी उस दुनिया का हिस्सा बनना जो निज से भी निजी है.. तुमको देखना...तुम्हें स्पर्श करना फिर मुस्कुराना....औऱ पलकें झुका'कर तुम्हारी बाहों में समा जाना...!! अहा..सुखद.. ❤️
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