Quotes by Praveen K Sen in Bitesapp read free

Praveen K Sen

Praveen K Sen

@krzsalon9839


जिस शहर में हम अपनी मोहब्बत हार आये।

उस शहर को भी अगर जीत ले,तो भी हम क्या जीत लगे।।


प्रवीण के सेन

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मैं आप बीती लिखता हूं,कहा कुछ सोच के लिखता हूं।

मुझें नहीं मालूम शब्दों की गहराई का,मैं बस अपनों के दिये ग़म लिखता हूं।।


प्रवीण के सेन

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मेरे ख़्वाब बिखर रहे हैं।

वैसे ही जैसे टूटा हुआ आईना।।


प्रवीण के सेन

इसे अपनी लत न लगा,फिर ये रह न पाएगा।

मेरे दिल अभी नादान हैं,फिर ये संभल न पायेगा।।



प्रवीण के सेन

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न जाने कब,कौन,कहा साथ छोड़ दे,क्या भरोसा

न जाने कब ,कौन,कहा तन्हा छोड़ दे,क्या भरोसा

इस दौर में तो साँसों पर भी भरोसा न रहा।

प्रवीण के सेन

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लग के गले जो सुकूँ, तुझसे मिला

वैसा सुकूँ फिर कही न मिला।।


प्रवीण के सेन

ग़ुलाब लिए बैठा हु हाथों में,मगर किन हाथों को ये ग़ुलाब दूं।

कोई चाहता ही नहीं मुझें ,तो कैसे किसी को ग़ुलाब दूं।।।


प्रवीण के सेन

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किन गलियों में,किन राहों में खोए हो।

मुझें भूलकर किन की यादों में खोए हो।।


प्रवीण के सेन

इतना भरोसा न कर,न जाने कितना साथ निभा पाउ

दो-चार क़दम कि बात औऱ हैं,शायद ज़िंदगी भर का साथ निभा न पाउ।।

तेरी ज़िन्दगी अभी जवान हैं,औऱ मेरी साँसों का अब कोई भरोसा न रहा।

शायद इस प्यार की राह में, मैं ज़िंदगी भर साथ निभा न पाउ

दो-चार क़दम कि बात औऱ हैं,शायद ज़िंदगी भर का साथ निभा न पाउ।।

इतना भरोसा न कर,न जाने कितना साथ निभा पाउ।।


प्रवीण के सेन

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फिर वैसी कभी मुलाक़ात न हुई

फिर उनसे कभी मोहब्बत पे बात न हुई।।

बैठें रहे फिर दोनों अपने -अपने किनारें

बीच का वो दरिया फिर कभी पार न हुआ।।


प्रवीण के सेन

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