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Kiran Malu

Kiran Malu

@kiranmalu7575


के यह ज़ख़्म इतने दर्द क्यूँ देते है
वह लोग जो दिल जीत लेते है वो दिल तोड़ भी क्यूँ देते है

पर सुना देता हूँ अपने दिल का हाल इन लफ़्ज़ों के ज़रिए कभी अपना
क्यूँकि यह लफ़्ज़ों से हि आस रहती है कि पूरा करूँगा अपना आख़री सपना

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वो खट्टी आम जैसी
ओर में नमकीन मसाला
अलग अलग भी है दोनों लाजवाब
पर एक हो जाए तो बेमिसाल

तेरी ये जुल्फ़े बिन मौसम की बिजली जैसी है
तू इसे खुला ही रहने दे
इन हवाओं के साथ इसे भी जुमने दे
यूही बिन मौसम की बिजली मुझपर तू गिरने दे

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मेरी और सिर्फ़ मेरी
के वक्त गुजरता नहि यूँही तेरी कमी महसूस होजाती है
तेरे साथ गुज़ारे हर वो पल मुझे जगाए रखते है और तू यूँही सोजाती है

कुछ दिन और गुजर जाएँगे इन यादों में लिखते तेरी
क्यूँकि यादें ही रखती है तुझे मेरी और सिर्फ़ मेरी...

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एक में और यह दिल

यह दिल की दो बातें है
पता नहि क्यूँ डलती नहि यह रातें है

यह दिल की तन्हाई क्यूँ इतनी सताते है
प्यार करते नहि अब वो हमसे फिर क्यूँ जूठा जताते है

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के ख़ुदा जाने क्यूँ कफ़ा होगए वो हमसे इस कदर
के बेवफ़ा हमें लोग कहने लगे

प्यार तो हमने भी किया था दो पल के सुकून के लिये
पर अब बस कोई यह बता दे की उनके बिना हम जियें भी तो कैसे जियें????

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के थक जाता हूँ ज़िंदगी की धौड में
क्यूँकि वक्त नहि है आसन इस मोड़ में

हालातों का बोज इस कदर है साथ मेरे
और लकीरें है भरी हुई पर ख़ाली है हाथ मेरे

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के जब ज़िंदगी मे हम और तुम मिलजाएँगे
सूखे पत्ते भी पेड़ों में खिल जाएँगे

सुबह की हवा इस कदर चलेगी
तुम्हारी खूबसूरत अदाओं से वो भी थोड़ा तो जलेगी

और उस रात मे चाँद कि ऐसी शान होगी
जैसे दो दिल होंगे और एक जान होगी

बस यही ख़्वाब देखे में अपनी सुबह शाम और रात जीता हूँ
गूट ग़मी तो ग़मी का सही मगर प्यार से पिता हूँ

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