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Kanchan Singla

Kanchan Singla

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खालिस्तान कभी खाली नहीं रहता
मृत्यु के बाद भी जीवन रुका नहीं रहता
किसी के चले जाने से कोई ठहरा नहीं रहता
पथिक की कोई प्रतीक्षा में नहीं रहता

कोई आएगा जो उस खाली जगह को भरेगा
मृत्यु का शोक आंसुओं से धुला देगा
ठहराव अब गतिमान का साथ लेगा
प्रतीक्षा की खिड़कियां अब बंद कर लेगा ।।
- Kanchan Singla

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लख कोशिश कर ले तू माहे
गर वतन की गल आएगी
शहीद होने की खातिर
मैं सरहद पर खड़ा मिलूंगा
लगा माथे मिट्टी वतन की
तुझे दीदार महाकाल के कराऊंगा ।।
- Kanchan Singla

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
- Kanchan Singla

कृष्ण मेरी आत्मा हैं
मैं करती हूं पुकार उनसे
सुन लो कृष्णा हमारी
हमें दर्श दे दो
बस यही एक छोटी सी अर्जी हमारी ।।
- Kanchan Singla

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आजादी के लिए
संघर्ष किया जिन देवदूतों ने
नमन है उनको बारम्बार
मेरी सांसों में जो महक है आजादी की
उन खुशबू फैलाने वाले शहीदों को
मेरा आभार है बारम्बार।।
- Kanchan Singla

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मैं रंगू जिस भी रंग माहे
देशभक्ति ही मेरा असली रंग है।।
- Kanchan Singla

है ये परीक्षा की घड़ी
वक्त आया इम्तिहानों का
अपने हौसलों की पहचान कर
लड़कर हर मुश्किल से
पहुंचना है एक नए मुकाम पर ।।
- Kanchan Singla

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उस सूफी ने मुझे संत समझ लिया
मैं अनंत बरसों तक ध्यान में लीन था ।।
- Kanchan Singla

रक्षा का वो सूत्र जिसे बांधा जाता है कलाई पर
उस कलाई पर जो भाई की होती है
मजबूती से बांधती है वो प्यारी सी बहन
मस्तक पर करके तिलक उसके
इठला कर मांगती है उपहार
भाई थोड़ा सताता है लेकिन उस दिन
वह भी पूरी तैयारी से आया होता है
कलाई पर राखी बंधवाने का इंतजार उसे भी होता है।।

घर आई है व्यहावली बहन
लेकर मिठाई, राखी और उपहार
भाभी बैठी थी जो इंतजार में
भाग भाग कर निपटा रही है उसका काम
उसे भी जाना है उसकी भाभी भी है इंतजार में।।

अब मां ने जाना छोड़ दिया
बेटी घर जो आएगी और बहु भी मायके जाएगी
मां भेज देती है अब अपनी राखी
राखी आने से पहले ही
क्योंकि वह जानती है कि अब वह
सिर्फ बहन नहीं रही
अब वह मां होने के साथ बहू भी है।।

कुछ अधूरी कलाई ताकती रहती हैं
दूसरों के हाथ पर बंधे दस पंद्रह धागों और
मस्तक पर फैल चुके तिलक को
बहन नहीं थी उसके पास
एक उदासी छाई थी जहन में उसके
ना उसे उपहार देने थे किसी को
ना किसी के आने का इंतजार करना था
सताना तो छोड़ो अब मुस्कुराना भी ना आता
राखी के दिन वह भाई मायूसी से घर के बाहर ना जाता ।।

अब भी कुछ बाकी है क्या
आज राखी है क्या यह मत पूछो
जाकर खरीदो धागे पूजा के
बांध दो कृष्णा के हाथों में
जिनके भाई नहीं है कोई
कृष्णा उनके भाई ही होते हैं।।

सजा लो थाली तुम अपनी
राखी के धागों से
रखो मस्तक का तिलक और
अक्षत के दानों को संग में
लाओ घेवर भी खरीद के तुम
मुख मीठा कराने को
मनाओ रक्षा बंधन तुम
सिर्फ कहने को नहीं भाइयों
बहन की रक्षा का वादा पूरा करना है तुमको
हर धागा कुछ कहता है जो
एक वादे से जुड़ा होता है
इसीलिए तो इसे रक्षासूत्र माना जाता है।।


-कंचन सिंगला

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दोस्ती बेवजह थी तभी तो खास थी
कृष्ण से सुदामा की, सुदामा से कृष्ण की।।

दोस्ती वजह से थी पर फिर भी निभाई गई
दुर्योधन की कर्ण से, कर्ण की दुर्योधन से।।

दोस्ती ना वजह देखती है ना बेवजह होती है
दोस्ती दिल से होती है, दिल से ही निभाई जाती है।।


- Kanchan Singla

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