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Kalpana

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@kalpana2246


तिरंगे सा कोई बन न पाया


तेरा गुरूर काम न आया

 मिट्टी की सौगंध है

तिरंगे सा कोई बन न पाया

 बारुदों के बीच, दहल गया जहां

 वहीं उम्मीदों की  किरणों- सा

 बन मसीहा जान बचाई

 बिलखते अरमान बहते आंसुओं को 

मां का आंचल बन संभाला जिसने

 तिरंगे सा कोई बन न पाया

मिट्टी कोई भी, कहीं भी, कैसी भी,

 अपनों को छांव देता बरगद जैसा

 किलकारीयों को आबाद किया 

मुस्कुराहट चेहरे पर 

बेमिसाल देखकर

 मिट्टी को तूने पावन किया

 तिरंगे सा कोई बन पाया

 अच्छा बुरा कभी भेजना जाना

 पाप पुण्य को समझा नहीं तूने 

दुश्मनों को भी गले लगाया 

जब भारत मां को सीने से लगाया 

तिरंगे सा कोई बन पाया

 तीन रंगों की कीमत कम मत आंकिए

 दुनिया वालों

 कुर्बानियां लगी है लाखों की

 खून से सींचा है वीरों ने

 फिर एक रंग सजा है

 रंगरेज बनकर सजाने वाले ने 

खुशबू को बिखेरा है सारे जहां में 


तिरंगे सा कोई बन नहीं पाया 

लाखों बार प्रणाम तुझे

 न्योछावर है प्राण मेरे 

है पहचान हमारी बनकर

 जीवन को दिया संवार

शत शत नमन !!!!शत शत नमन!!!!

कल्पना गवली

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अल्फ़ाज़ चुराने की जरूरत ही ना हुई कभी,
तेरे बेहिसाब ख्यालों ने बेतहाशा लफ्ज़ जो दे दिए।

-Kalpana Thorat

दुनिया रोज़ नई लगती है
जब भी
अपना नज़रिया बदल दोगे

-Kalpana Thorat

खुद को यूं तराश लें कि
पाने वाले को नाज़ हो
और खोने वाले को अफ़सोस।

-Kalpana

हर दिन एक नई किताब
सांसों की रफ्तार से
शब्दों को,
हर पन्ने पर.....
कभी सिस्की लेते हुए,
कभी मुस्कुराते हुए,
महसूस कर रही हूं..!
जीवन के व्याकरण को
शायद
समझने की कोशिश कर रही हूं।

-Kalpana

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एक उम्र के बाद,
उस उम्र की बातें',
उम्र भर याद आती है,
पर वह उम्र फिर,
उम्र भर नहीं
यही सत्य है।

-Kalpana

उम्मीद नहीं छोड़ना

बुरा वक्त ही तो है, पानी की धारा के
जैसे बह जाएगा
तुम अपनी पतवार,
संभाल लेना नाविक की तरह.....
आंधी भी हट जाएगी,इरादा मजबूत रखना
बुरा वक्त ही तो है, पानी की धारा के
जैसे बह जाएगा।
उम्मीदों के दामन में,अपने आप को,बचा लेना
हिम्मत रख.......
तूं हिम्मत रख।

# कल्पना

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अब तो सांसें भी फर्जी यहां मैंने देखा है,
चलते फिरते जो नज़र आ रहे हैं लोग
वे भी जिंदा नहीं होते।

-Kalpana

हजारों ख्वाहिशों के काफिले में
सोचा न था
हम तो तन्हा ही रहे।

-Kalpana

मां तुझे सलाम
तेरी रक्षा के खातिर
न मैं सीमा पर तैनात हुआ,
फिर भी फिक्र हर बार रहती है,
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
पानी को खत्म कर देगा, पेड़ों को बचाना है कटने से,
चिंता न सिर्फ सीमा की,सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है
हर इंसान को इंसान बनाकर, धरती पर वसुधैव कुटुंबकम् की परिभाषा समझाना होगा।
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
जंगल, नदी और समुद्र,
जीवन की अमूल्य धरोहर है
हिमालय पर्वत गौरवशाली इतिहास को देखें,सर का ताज है भारत मां का,
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
मशीनों से निकल कर,
प्रकृति से खिलवाड़ छोड़ कर,
विकृति को दूर करना है...मन से और धरती से,
धरा पर बसंत को दुबारा लेकर आना है
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
मां तुझे सलाम
तेरी रक्षा के खातिर,
न सीमा पर तैनात हुआ,
फिर भी फिक्र हर बार रहती है,
क्योंकि……...सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।

-डा.कल्पना

-Kalpana

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