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जीत
अधजगी शब में तुमको ख्वाब बनाकर देखेंगे, नज़रों से पी लेंगे तुझको शराब बनाकर देखेंगे। Jeet Jangir
लाज़मी था तेरा भी, मुझसे यूँ दूर जाना, इस जहां में कहाँ किसी के, पास खुदा रहता हैं। ✍️जीत सा
वो इक शख्स जो उसके करीब लगता है, जहां में सबसे ज्यादा खुशनसीब लगता है। दुआ है मेरी कि दुआ उसकी कुबूल ना हो, वो शख्स रिश्ते में मेरा रकीब लगता है। नजरों से नाप लेता है अरमाओ के खेत को, पटवारघर की मुझे वो कोई जरीब लगता है। हमने नहीं देखा उनको पास रहकर भी पूरा, कौन कहता है कि वस्ले इश्क़ हबीब लगता है। सुना है माल चाइना का ज्यादा नहीं टिकता, कोरोना मिट न रहा मसला ये अजीब लगता है। ✍️जीत जांगिड़ सिवाणा
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तुम हो गुल गुलशन का, मैं हूं सहरा की धूल प्रिये, तुम हो एक खबरनवीस, मैं खुद में ही मशमूल प्रिये। ....✍️ jeet Saa
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