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इस बहाने हम खुद गुलाब बन जाएं प्रेम की खूशबू से जहाँ को महकायें -Jamila Khatun
तुम्हें पाकर लगा कि सबकुछ पा लिया हमने पर तुम गए तो खुद को ही खो दिया हमने हार गए हम तुमको पाकर भी मोहब्बत में जिन्दगी के सफ़र में क्यों तन्हा छोड़ दिया तुमने किसको दोष देते किससे करते शिकायत भी अपनी नादानी पर खुद ही रो लिया हमने Jamila Khatun -Jamila Khatun
आओ भीग लें बारिश में धुल जाएं सब गिले शिकवे कोरे कागज सी हो जाए जिन्दगी प्यार लिखने के लिए। -Jamila Khatun
आओ चलें कि तोड़ दें जमाने की बंदिशें कोशिश तो करें खुद ही से प्यार करने की। -Jamila Khatun
काश तुम मेरी जिन्दगी में न आये होते। तो हम यूँ खुद से ही न पराये होते। -Jamila Khatun
ये दिसंबर भी तो तुम जैसा ही है आखिर छोड़ ही जायेगा कुछ निशानियाँ देकर। -Jamila Khatun
शायद मैं आज भी तुम्हारे इंतजार में हूँ। तुम जो न समझ सके उसी प्यार में हूँ। किसी अनजानी डोर से बँधी हूँ तुम से इंकार कुबूल करके भी इकरार में हूँ। ज़मीला खातून -Jamila Khatun
जख्म खाकर के भी जो मुस्कराते रहते हैं अगर रोने लगें तो सम्हलते नहीं वो लोग। ज़मीला खातून -Jamila Khatun
इस तन्हाई की महफिल में तेरी यादों के साये हैं। दुःख भी हैं कुछ सुख भी हैं कुछ अपने और पराये हैं। तुम आजाओ तो हो जाये रंगीन समां इस महफिल का चार दिनों के लिए ही तो हम इस दुनिया में आये हैं। । स्वरचित व मौलिक ज़मीला खातून
वह दिन जरूर आयेगा जब तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा और तुम शिद्दत से प्यार करना चाहोगे मुझे पर तब तक हम पत्थर के हो चुके होंगे। -Jamila Khatun
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