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Himanshu Parmar

Himanshu Parmar

@himanshuparmar343gma


अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो
हम लोग जब मिले तो कोई दूसरा भी हो

तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है
मुझको मना रहा हैं कभी ख़ुद खफ़ा भी हो

तू बेवफ़ा नहीं है मगर बेवफ़ाई कर
उसकी नज़र में रहने का कुछ सिलसिला भी हो

पतझड़ के टूटते हुए पत्तों के साथ-साथ
मौसम कभी तो बदलेगा ये आसरा भी हो

चुपचाप उसको बैठ के देखूँ तमाम रात
जागा हुआ भी हो कोई सोया हुआ भी हो

उसके लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएँ कीं
मेरी तरह से कोई उसे चाहता भी हो
-बशीर बद्र

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# Gandhigiri

नही हुं मैं गांधी

उस समय की यह बात है,
जब नही थे पैरों मे महंगें जूते, नही थी अपनी जमीं,
पर थे दिल सोने के,थे दिलोमें वतन के लिए शोले,
आज वो आग बूझ सी गई है, खलती है तुम्हारी कमी,
बापू आज तुम भी कहते,'चल भाई साथ में कही रोले।'

बंध करो यह फरेब सारा, मत कहो मुझे महात्मा,
जरा खोजो अपने भीतर की सोई हूई आत्मा,
ये कैसी आजादी, की तुम हर फरेब पर खामोश हो,
सब हवस, सारें काले कामों का करदो तुम खात्मा ।
अगर अभी भी सिर जुकाऐ सब सेहते हो तुम,
तो आज सही माइनो में मरा हूं मैं,नही हुं मैं गांधी ना ही मैं अब से महात्मा ।

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