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हरीश सेठी झिलमिल

हरीश सेठी झिलमिल

@harishsethi1748


मेला

रंग-बिरंगा मेला देखा।
ट्रैक्टर देखा, ठेला देखा।।

गुल्लक थी वो प्यारी-प्यारी।
ऊँट की हमने की सवारी।।

पानी में फिर नाव चलाई।
चाट पकौड़ी जी भर खाई।।

बच्चे सभी झूमते देखे।
जोकर वहाँ घूमते देखे।।

झूले में सभी हुए सवार।
एक सीट पर बच्चे चार।।

जादूगर ने खेल दिखाया।
मेला हमको बेहद भाया।।

वापस मेले से जब आए।
अपने संग खिलौने लाए।।

- हरीश सेठी 'झिलमिल'

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तांका

मिली चुनौती
चिड़िया थी मिट्टी की
साधा निशाना
मारा आँख में तीर
जीता अर्जुन वीर

हरीश सेठी 'झिलमिल'







#मिट्टीकी

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हाइकु

है कटु सत्य
शाश्वत जीवन का
मृत्यु अटल

- हरीश सेठी 'झिलमिल'

#कटु

जीवन का अंतिम पड़ाव

जीवन के
अंतिम पड़ाव पर
बैठी स्त्री
स्मरण करती है
बार बार
बचपन से
बुढ़ापे तक का सफर
संन्यास आश्रम की
इस पगडंडी पर
अनायास ही
सजीव
हो उठते हैं
चित्र
आँखों के सामने
पिता,पति ,पुत्र
के प्रतिबंध
मीठे,खट्टे, कड़वे पल
माँ, बहन,बेटी,बहू
संग बिताया
एक एक पल
बूढ़ी नज़र
बीनती कंकर
वृद्ध काया
करती मूल्यांकन
जीवन में
क्या खोया
क्या पाया

-हरीश सेठी'झिलमिल'
सिरसा

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किरदार

चाँद

बचपन में
सुनी थी
एक कहानी
चाँद पर
चरखा कातती है
बुढ़िया रानी
विज्ञान पढ़ा
तो पाया
फिर प्रश्न
मन में आया
न हवा, न पानी
फिर कैसे रही होगी
बुढ़िया सयानी
किसी को चाँद में
दाग नज़र आता है
तो कोई उसे
शशि कहकर
बुलाता है
आसमान में
चंदा संग चमकते
अनगिनत तारे हैं
रात्रि में लगते
सुंदर सुंदर
प्यारे प्यारे हैं
गौर से देखो तो
प्रकृति का
अजब नज़ारा है
चाँदनी बिखेरता चाँद
इक अद्भुत सितारा है

---हरीश सेठी 'झिलमिल'

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हैं
पल
कीमती
सुनहरे
घड़ी बताती
समय का सही
आभास करवाती

--हरीश सेठी 'झिलमिल'
सिरसा
#कीमती