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न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है । दिया जल रहा है और हवा चल रही है ।। "हरेन्द्र सिंह"
आने वाली दीपावली अपनी-अपनी फुलझड़ी के साथ मनाये । दुसरो के पटाखों से दूर रहे खतरा हो सकता है ।। हरेन्द्र सिंह
धीरे धीरे रे माना, धीरे सब होय । माली सींचे सौ घड़ा, ऋतू आये फल होय ।। हरेन्द्र सिंह विशेन
motivation का शाब्दिक अर्थ प्रेरणा । जब हम अवसाद की स्तिथि में होते है तब हमें motivation की आवश्यकता होती है । मोटिवेशन क्या है ? मेरे हिसाब से एक ऐसी ऊर्जा या प्रेरणा जो हमे नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाये । बहुत से लोगो ने इसकी बहुत ही अच्छी परिभाषाये दी है और बहुत ही बाते कही है जो मैं यहां पे न तो कहना चाहता हु और न ही बहुत जनता हु । मैं अपने हिसाब से आपको यहां पे बता रहा हु ..... जब हम डिप्रेशन (अवसाद ) की स्तिथि में होते है अर्थात मन के अंदर कुछ करने की इच्छा का न होना, हताशा, निराशा जब घेर ले जीने की चाह न हो उसे ही डिप्रेसन कहते है । कभी कभी ब्यक्ति डिप्रेसन में ब्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है उस स्तिथि में हमे मोटिवेशन की आवश्यकता पड़ती है । आज कल तो इसके सेमिनार , क्लासे आदि ब्यापक रूप से शुरू हो गए है और यह एक ब्यापार के रूप में भी खड़ा हो रहा है , पर इन जगहों पर जाने से पहले एक बात जरूर सोचनी चाहिए कि वे हमें क्या देते है ? सिर्फ कुछ बाते .....और हम सुनते है । नही वह ब्यक्ति आपके अंदर की शक्ति का आपको एहसास कराता है इसी को हम प्रेरणा कहते है । संस्कृत में एक प्रचलित वाक्य है "अहं ब्रम्हास्मि " अर्थात 'मैं ही ब्रह्म हु ' । अर्थात मैं ही सब कुछ हु , मेरे अंदर वह शक्ति है जिससे मैं कुछ भी कर सकता हु । किसी ने कहा है कि जब आप अंधेरे से घिर जाए तो जिंदगी शुरु करने का वही सही समय होता है । एक कदम बढ़ाए जिंदगी की ओर और फिर देखे जिंदगी हसीन हो जाएगी । हमारे अंदर वो सारी शक्तियां है बस हम महसूस नही कर पाते है और जो महसूस कर लेता है वह जिंदगी के लुफ्त उठाने लगता है । तो मित्रो उठो और और अपने अंदर की शक्ति को पहचानो और एक कदम जिंदगी की ओर बढ़ाओ । साभार " हरेंद्र सिंह विशेन "
याद कर सिकंदर के हौसले तो आली थे । जब गया तो वो दुनिया से दोनों हाथ खाली थे ।। इस जिंदगी की तेज रफ्तार , इच्छाओं का बढ़ता संसार, हमारे नैतिक मूल्यों का ह्रास होना,मानव का मानव से प्रेम न होना, जिंदगी का एकांकीपन हमे कहा ले जा रहा है हमे सोचना होगा । आज समाज मे एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है , किसी के पास समय नही है किसी से मिलने की किसी से बात करने की । पुत्र के पास समय नही है माँ से मिलने का ,पिता के पास समय नही है अपने पुत्र से बात करने का हम कहा जा रहे है क्या कभी हमने सोचा है, क्या कभी हमने आत्म मंथन किया है , नही ? अगर हम जिस रफ्तार से दौड़ रहे है और अगर उस जिंदगी की दौड़ में सबसे आगे हो और सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त कर ले फिर क्या होगा ....हम अपने पीछे किसी को नही पाएंगे जिनके साथ हम अपनी उस सफलता का आनंद ले सके ।।।।।।
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