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एक वक्त था जब सोते थे तेरी बाहों में और नींद से जागते थे रहकर आगोश में तेरी फिर चाय की चुस्कियों संग बंटती थी बातें मेरी-तेरी अब हो जाती है रात तुझे सोचते-सोचते और सो जाते हैं यादों में तेरी सुबह जागते हैं तो याद हो उठती है वो वफ़ाएँ मेरी और वो झूठी बातें तेरी -नादान लेखिका
तुम्हे चाहिए था जिस्म हमारा हमारे मन को तो तुमने कभी छुआ ही नही हम भी बेवकूफ थे बहुत तुम नोचते रहे आत्मा को हमारी और हम ऐसे रहे जैसे कुछ हुआ ही नही। -नादान लेखिका
तेरे झूठे इश्क़ ने जो अंधेरे दिए हैं ज़िन्दगी में, उनके आगे तो रात के अंधेरे भी फीके हैं। -नादान लेखिका
हम तड़पते रह गए उनके प्यार को वो किसी ओर के हो गए हम तड़पते रह गए उनके प्यार को, वो किसी ओर के हो गए थाम तो लिया उन्होंने हाथ किसी ओर का हमे छोड़कर लेकिन हमारा ही दिल था उनके पास में हम जुदा होकर भी पूरे हैं, वो पूरे होकर भी तन्हा रह गए -नादान लेखिका
ख्वाहिश हर दम तुझे पाने की ही रही तड़प तुझे हद से ज़्यादा चाहने की रही भुला बैठे खुद को भी तेरे इश्क़ में इस कदर कि, अब ना जीने की चाहत रही ना मरने की हसरत रही -नादान लेखिका
तेरे प्यार को अपने सीने में दबाए बैठे हैं कुछ एहसास अनछुए से बसाए बैठे हैं, मिलो कभी फुर्सत में जो तुम बताएंगे तुम्हे...इस सीने मे कितना दर्द छुपाए बैठे हैं। -नादान लेखिका
बड़ी शिद्दत से तुझे चाहा था हमने हर पल हर दुआ में मांगा था हमने तुम हो ना सके हमारे किसी भी हाल में मगर, फिर भी हर सांस में तेरा ही एहसास मांगा था हमने -नादान लेखिका
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