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......जीवन में अवहेलना के प्रसंग जब आते है। हमारा अंतर्मन व्यथित हो उठता है। हमारे अंदर समाहित जितनी भी ऊर्जा होती है वह खो जाती है। उचित अनुचित में भेद करने को हम असमर्थ हो जातेहै। और अपने कर्तव्य को करने के बजाय शोक तथा व्यथा में खुद को जकड़ लेते है , तब चाहिए हमे श्री सखा जैसा उपदेशक । जो बता सके हमारे असीमित ऊर्जा को । जो दिखाए मार्ग। हर दम। विराट रूप दर्शन।
....वसंताची चाहूल., चैत्र पाडवा.
.... जहां पर मन का मिलन होता है, वहा पर ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं होती। 😊 १८_१९.
हर एक का किरदार किसी न किसी के कहानी में बुरा होता है। असलियत में हम , " वो" जो चाहते है , उसके जैसे न बन पाए , तो हम उनसे अलग होकर बर्ताव किए जाते है । या वो हमसे।😊
...
....हम इंसान जिस वक्त किसी विशेष भावना में सराबोर होते है , ठीक उसिके अनुरूप हमे ये दुनिया नजर आने है।जैसे द्वेष,क्रोध,मत्सर ,अनुराग,विश्वास ,सुहृदयता एवं प्रेममयी अवस्था। किसी के अपने पन के दो चार शब्द ही अकेलेपन के कारागार से मुक्त कराने के लिए पर्याप्त होते है। 18_19.
....जब अपेक्षा के जगह उपेक्षा ले लेती है। तब हम जिस भावना में बह रहे होते है, उसे "वास्तविकता" कहते है। 18_19.
समय हर किसी के लिए एक सा नहीं होता है। किसी प्रेम पड़ी युगुलों के लिए उसके अलग मायने है। तो किसी स्पर्धा में हिस्सा लेने वाले के लिए अलग। किसी अपने के साथ बिताया हुआ वक्त कैसे गुजर जाता है, इसकी हमें खबर नही रहती है। और उसके इंतजार में बिताया जाने पल कटता नही। तो समय का बहाव एक सा है , मगर भावनाओ तथा परिस्थिति कारणवश उसका आकलन बोध अलग अलग हो सकता है। 18_19.
हमारे मस्तिष्क की एक बात बहुत अच्छी है की, हम बाते भूलते है।😊।
....आसक्ति और विरक्ति के द्वंद्व में हर जीव होता है।
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