अंतिम साँस तक अपनी सोच को रखूंगी एक तिनका भी अभिव्यक्ति का मरने ना दूंगी .... दोस्तों मेरी कृतियों को तोड़ मरोड़ कर अन्यत्र प्रेषित करने की व्यर्थ चेष्ठा ना करें मेरी समस्त मौलिक कृतियाँ कॉपीराइट के तहत सुरक्षित हैं दोषी पाये जाने की दशा में क़ानूनी कार्यवाही के लिए निसंकोच स्वतन्त्र हूँ .. धन्यवाद

*कलियुग में राम नाम की विशेषता*

अयोध्या से विदा लेकर चले श्री राम जंगल में
भटकते कुटी में ऋषियों के राक्षसी दैत्यों से लड़ते
सिया का धर्म पतिव्रत था लखन का प्रेम अनुपम था
चरित पावन राम गाकर हो पावन लोग कलियुग में।।

-गायत्री शर्मा गुँजन

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जीवन हमेशा पूर्णता को प्राप्त नहीं होता! हालांकि कुछ कमियों का खलना, कुछ खोना,और बेशुमार तकलीफों का जीवन में होना हमे और मजबूत बनाता है एक सबक बनकर , " कि टूटना नहीं " तुम वो चट्टान हो जो हर तूफान में अपना गढ़ मजबूत किए हुए स्थिर रह सकते हो.. !!

-गायत्री शर्मा गुँजन

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भूख के पटाखों में असहायों की पीड़ा जानी है
किसी की जिंदगी गुलजार किसी की पीर घनी है
पूछती है ये गुंजन हे विधाता क्यों जगत रचा
किसी का उजला जहां तो किसी की दिवाली काली है ।।

-गायत्री शर्मा गुँजन

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किसी ने मुझसे पूछा कि मैं कुछ लिखना चाहता हूं कैसे लिखूं क्या लिखूं समझ नहीं आता! मैने हंसकर कहा " जब सोच में पड़ जाओ तो याद करो उन लम्हों को जब हर पल प्रतिपल मरता है कोई और मर जाती है इंसानियत ,तुम शोषण के विरुद्ध मानवता का स्वर लिखो , अधर्म के खिलाफ धर्म की विजय लिखो ! हां "कुछ ऐसा लिखो जिससे जग जाए इंसानियत.... !!
गायत्री शर्मा गुंजन

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दिल्ली मेट्रो यात्रियों का हाल 🤣🤣


अपने गंतव्य तक जाने की एक तो झंझट है
और ये मेट्रो का रूट लगता क्यों मुझको गड़बड़ है
इंटरचेंज की हो आफत और स्टेमिना डाउन तो
देख कर भीड़ भारी स्केलेटर रुक जाता है ।।

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मानव उत्थान सेवा समिति
(मानव सेवा दल )

सेवक धर्म निभाना समझो अंगारे पग पग पर हैं
शब्दों के तलवार यहां मन भेदन को कुछ कम ना हैं
ज्ञान योग से मन को साधे तन तपवन गर कर पाओ
तो भवसागर से पार उतरना नामुमकिन सा कुछ ना है!!

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कवयित्रियां कैसी होती है😊😊💐💐

महफिलों में वो इश्क मोहब्बत गुनगुनाती हैं
अपनी अदाओं से खिलकर खूब मुस्कुराती हैं
किंतु नारीशक्ति का खुलकर समर्थन कर दे तो
संजीदे विषयों पर आह वाह भी ना मिलती है ।।
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-गायत्री शर्मा गुँजन

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अभिव्यक्ति के समंदर में विविध विचारों की फसलें
लेखनी के खादों से उपजी रंग बिरंगी सुंदर फसलें ।।

रुद्रपुर

ये शहर मुझको एक अनजान शहर लगता था
इसकी फिज़ाओं में सुर संगीत वास करता था
मैने देखा है बुलंदी को छू लेते हैं जो
वो शख्स अहम के पाले मगरुर रहता था

ये गलत धारणा मेरी जो अब खारिज होगी
अपनो को नाराज करना अब ना ये वाजिब होगी
भर के आकाश तक प्यार जो लुटाया है
ऐसे एक शक्श को गुंजन की सलामी होगी।।

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रुद्रपुर उत्तराखंड कवि सम्मेलन 💐💐💐💐