Quotes by Drimmdolly786 Aman prihar in Bitesapp read free

Drimmdolly786 Aman prihar

Drimmdolly786 Aman prihar

@drimmdolly786amanprihar.767240


तमाम बंदिशों से ही नहीं बल्कि एक बार फिर से ही।
मेरी ईल्तजा सिर्फ तुम से ही।
अब वो नदी का शौर नहीं, बस खुद में ही तूफ़ान उठते हैं।
कोई जिन्दा ही नहीं ज़मीर से।
मुझे तो बस चारों ओर श्मसान दिखते हैं।
जिस इश्क को हम आबरू से लपेट कर निहारा करते थे।
वो आज कोड़ीयो में बिकते हैं।
वैश्याऔ को तो लोग यूं ही बदनाम करते हैं ़़़़़़़अमन
ये इश्क नहीं हवश है।
यहां अच्छे-अच्छे घरों की लड़कीयाऀ गैरों से हमबिस्तर होती है।।।

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मैरी बुझी ख्वाईशो को वो फिर से रोशन कर गया ।
ठहरी आंखों को वह एक मदहोशी दे गया
उसे आशियाने की ललक थी और मेरी कोख सूनी पड़ी थी।
वह मेरे घर ठहर गया और मेरी कोख भर गया।
तमाम बंदिशों को छोड़कर वह मेरा हो गया
कैसे मान लूं धर्म जात पात को मैं
वह गैर मजहबी होकर भी मेरा परिवार हो गया

मेरी बुझी ख्वाहिशों को फिर से रोशन कर गया ठहरी आंखों को मदहोशी दे गया

कुछ तो कसक होगी मेरी इबादतओं में
खुदा गवाह है मुझ में दिल ही ना था...….…अमन......
और वह मुझे मोहब्बतें दे गया

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