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Dr. Kuldeep Singh Chauhan

Dr. Kuldeep Singh Chauhan

@dr.kuldeepsinghchauhan8391
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कैंसर# जानकारी ही बचाव है।

नववर्ष में जीवन को सही अर्थों में जीने की कोशिश करें। जी भर कर जियें स्वास्थ्य जियें एवं प्रेममय जिये।

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

-Dr. Kuldeep Singh Chauhan

हार्टफुलनेस प्रेक्टिस तनाव से बचने का सबसे सहज तरीका है।

बहुत समय पहले एक व्यापारी ने बढ़िया नस्ल का एक घोड़ा खरीदा। उसे लेकर वह अपने घर पहुँचा और अपने पंडित मित्र को उसे देखने के लिए बुलाया। वह बोला- घोड़ा तो अच्छी नस्ल का है, लेकिन इसकी लगाम कभी ढीली मत छोड़ना। वरना कई बार सहूलियत की चीजें नुकसानभी पहुँचा देती हैं।

व्यापारी बोला- तू चिंता मत कर। मैं ऐसा ही करूँगा। इसके बाद वह व्यापारी व्यापार के काम में घोड़े का भरपूर उपयोग करने लगा। एक बार पंडित किसी यजमान के यहाँ जाने के लिए घर से तेजी से निकला कि सामने से उसे व्यापारी दोस्त घोड़े सेचिपककर बैठा हुआ दिखाई दिया।

घोड़ा सरपट भागता हुआ आ रहा था। पंडित ने सोचा कि इसे कहीं जल्दी पहुँचना होगा। यदि यह मुझे भी साथ ले ले तो अच्छा रहेगा। मैं भी समय रहते पहुँच जाऊँगा। उसने व्यापारी को पुकारा- बंधु, इतनी तेजी से कहाँ जा रहे हो? इस पर वह बिना रुके बोला- यह मुझे नहीं, घोड़े को पता है। मुझे जिस ओर जाना था, यह उसके विपरीत दिशा में ले जा रहा है। पंडित को कुछ समझ में नहीं आया।
बहुत समय पहले एक व्यापारी ने बढ़िया नस्ल का एक घोड़ा खरीदा। उसे लेकर वह अपने घर पहुँचा और अपने पंडित मित्र को उसे देखने के लिए बुलाया। वह बोला- घोड़ा तो अच्छी नस्ल का है, लेकिन इसकी लगाम कभी ढीली मत छोड़ना।

वह सोच ही रहा था कि थोड़ा आगे जाकर घोड़ा तेजी से उछला जिससे व्यापारी पास के एक पोखर में जा गिरा, लेकिन उसका पाँव रकाब में ही उलझा रह गया, जिसे उसने जैसे-तैसे छुड़ाया। पंडित ने उसके पास पहुँचकर उसे पोखर में से निकाला। व्यापारी पूरी तरह से कीचड़ में लथपथ हो चुका था। उसने बताया कि रंगपंचमी के जुलूस को देखकर घोड़ा बिदक गया, जिसकी वजह से उसकी यह दशा हुई। पंडित बोला- मैंने तो पहले ही तुझे कहा था कि हमेशा लगाम को कस कर रखना। खैर, छोड़। चल घर चलते हैं।

दोस्तो, यही हालत होती है घोड़े को अपने वश में न रखने वाले की। कहीं का कहीं पहुँचाता है और अंततः कीचड़ में ले जाकर गिरा देता है। यहाँ हम वास्तविक घोड़ों की नहीं, मन के घोड़ों की बात कर रहे हैं, जो वास्तविक घोड़ों से भी कई गुना ज्यादा सरपट दौड़ते हैं। और क्यों न दौड़ें।

जब इन्हें बेलगाम छोड़ देंगे तो जहाँ मर्जी आएगी, जब मर्जी आएगी, दौड़ जाएँगे। यही कारण है कि कई बार हम सोचते हैं कि हम कोई गलत काम नहीं करेंगे या कोई लत नहीं पालेंगे। लेकिन हम सिर्फ सोचते रह जाते हैं और मन के घोड़े हमें उन्हीं द्वारों पर छोड़ आते हैं, जहाँ से हम भागना चाहते थे।

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दीपावली वास्तव में अंधकार को प्रकाश का आलिंगन है।
हम बाहरी वातावरण को प्रकाशित कर अंधकार का निवारण करते रहते है किंतु अंदर हृदय में हमेशा अनदेखा करते है। दीवाली पर्व हमें यह मौका प्रदान करता है कि हम उसे प्रकाशित करें। तो आइए अपने हृदय को प्रेम के प्रकाश से आलोकित करें।
#HappyDiwali

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हम भी दरिया हैं हमें अपने हुनर मालूम है,
जिस तरफ भी चल पड़ेंगें, रास्ता हो जायेगा...

आयुर्वेद
के अवसर पर अच्छे स्वास्थ्य की हार्दिक शुभकामनाएं

-Dr. Kuldeep Singh Chauhan

आयुर्वेद एक स्वस्थ जीवनशैली है भगवान राम ने हमेशा आयुर्वेद जीवनशैली का पालन किया।
#Rama

ईश्वर मस्तिष्क में नहीं हृदय में निवास करता है। दिमाग केवल सोचता है और सोच विचारों के मार्गदर्शन
के अधीन होती है। यदि हम हृदय अनुभूति को अपने जीवन की डोर थमाए रहें तब प्रेम और भक्ति में रह सकते है।
केवल हमे हृदय अधीन बनने में स्वयं को ढालने होगा। मन के विकार दूर रहेंगे और सकारात्मक विचारों का मार्गदर्शन स्वतः ही प्रसस्त हो जाएगा।
प्रभु श्री हनुमान प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त केवल प्रभु के हृदयिक प्रेम में लीन होने से बने और उनके द्वारा ही असाध्य एवं असाधारण कार्य संपादित हुए।
हृदय अधीन रहने से जीवन मे अतुलनीय शक्ति प्राप्त होती है।
#Hanuman

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