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Divya Shinde

Divya Shinde

@divyashinde


तड़पन
पुकार कर तेरा यु वापस लोट जाना
जेसे बहेती नदियों का रुख़ बदलना..
आवाज़ देती रही हवाएं
नदी के हर एक अल्फाज़ो को ..
मगर
ज़मीन चुप थीं
आसमान चुप था
चुप रहा वो अंधेरा
बोला कहाँ जाऊँगा,
यही रहुँगा
इतिहास के उस पन्नों की तरह..
जो आज़ाद होते हुवे भी बिखरा हैं पत्तों की तरह..
होने दो जो क्षण चाहें
होने दो जो होता रहे..
पहाड़ो के बीच से गुज़रती ये नदियाँ..
ढूंढ ही लेगी उपनी उपमा ।
- Divya shinde

My second poem in hindi

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સપનું નથી હું એનું કે પુરુ જ થાય
પડછાયો છું એનો જે સાથે જ જાય..

Suna hai amir hone k liye ladkiya boyfriends badal deti hai...
🤔
Lekin kuch log to dharm hi badal dete
hai
😂😂😂