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पत्थर की लकीर भी शरमा जाती है, जब हाडॅ रूलस मेरे साथ चलते हैं !
# गजल . चुपके चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना भूल गई पहले शायद उसको मेरे चेहरे का अंदाज ना था मुझसे आँखें टकराई तो खूद पे मरना भूल गई सच पूछो तो मेरी वजहसे उसको ऐसा रोग लगा काजल महेंदी कंगन बिंदिया से संवरना भूल गई क्या जाने कब उससे मिलने आ जाउ ईस ख्वाहिश मे छत पर बैठी रहती है वो छत से उतरना भूल गई
Special Sunday.....
समुंदर भी फिका पड़ गया , जब दिल भावना मे बेह गया !!
दिल आज फिर बेवकूफी कर गया, जोड़ ने चला था ,फिर बिखर गया |
special Sunday.....
जिम्मेदारी दी नही जाती , जिम्मेदारी ली जाती हैं . मत कहो कि " मे बरबाद हो गया" शान से कहोकि "मे जिम्मेदार हो गया "
हम अगर आज करेंगे तो कल वो हमारे पास हौंगा गर नही किया तो आनेवाले समय में हम यही कहेंगे "यार. ...क्या करे नशिब मे ही नही था " नशिब, तकदिर जैसा दुनिया में कुछ भी नही है . प्यार, परिवार, घर मे या घर के बाहर ,जिंदगी हो या जंग, बड़ा बिजनेस हो या छोटा .
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