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पता है जिन्दगी काण्टो का राह है। लेकिन काण्टो की डर से हम गुलाब को तो नही छोड सकते । तो फिर मञ्जिल की राह मे आइ हुई थोड़ी सी अन्धेरे के लिए वचपन की ख्वाहिश कैसे छोड दे।
वचपन की रोना और आज की रोना में वस फर्क इतना है कि । तब जब हम रोते थे तो मनाने के लिए वहुत लोग थे। लेकिन आज जब हम रोते है तो रोते रोते ही खुद को मनाना पडता है ।
किसीके जाने से जिन्दगी रूकती नही है। बस जिन्दगी एक नयी मोड ले जाती है। सिर्फ फर्क इतना होता है कि उस पल जिन्दगी किसीके साथ जी रहे थे। और इस पल जिन्दगी को खुद के साथ जिना पडेगा।
राह की फिक्र मत कर। निकल जा अपनी मञ्जिल की ओर। मुकाम हासिल हुआ तो जित मिलेगी नही तो शिख मिलेगी
साथ उन लोगो को दिजिये जिनका साथ कोई नही देता। क्योंकि दुनिया में पैर खिचने वालो की कमी नही है । साथ छोडने वालो का साथ देने के लिए वहुत लोग है । लेकिन जिनका साथ कोई नही देता उन लोगो से पुछिये असली सहारा का मतलब क्या है । क्योंकि खाना का असली किमत भुखा इन्सान को ही पता है ।
ऐसी कोई राते नही। जिसमे तेरी यादे नही। ऐसी कोई मन्नत नही। जिसमे तेरी जन्नत नही। इक तु ही है वो इंसान जिसे में खोना नही चाहती।
होंठो में मुस्कान है फिर भी मुस्कान नही है। मुस्कराने की वजह तो कोई ओर है। जो पाश है फिर भी पाश नही है।
वक़्त बदलगया। वक़्त के साथ हालत भी बदलगया। और हालत के साथ साथ लोग भी बदलगये। अब तो जिंदगी में सिर्फ दो ही चीज ऐसी है। जो कभी वापस नही आयेगा । गुजरते वक़्त के साथ बदलता रिस्ता।
ना आसमान की उच्चाईयों से चाहत थी। और ना ही जमीन छोडने की आदत थी। मैं तो अपनी वचपन की छोटी सी दुनिया में खुस थी। पता नही कब वो वचपन चलागया । अब तो जिंदगी मेें सिर्फ संघर्ष ही संघर्ष रहगया ।
काश कोई ऐसा मिलाजाये जो आखों की आशुयो का वजह पुछजाये। दिन की उजाला दुनिया के सामने तो हम अपनी होंठो में हसीं रख लेंगे । लेकिन अन्धेरे आसमान में चमकता सितारों के सामने नही । काश कोई ऐसा मिलाजाये जो दिल में भरी हुई दर्द के बारे मे जानसके। परिवार, दोस्त, रिश्तेदारों के साथ तो दिल खोलके मजाक कर लेंगे । लेकिन अकेले में जख्म देने वाला यादों के साथ तो सिर्फ सजा ही मिलती है ।
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